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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के पांच हजार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विलय (मर्ज) के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सही ठहराया है। यह फैसला सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और संसाधनों का सही उपयोग करने के उद्देश्य से लिया गया था।

राज्य सरकार ने यह कदम उन स्कूलों को मिलाने के लिए उठाया था जहाँ छात्र संख्या बहुत कम थी या स्कूल एक-दूसरे के बहुत नजदीक थे। सरकार का कहना है कि इससे शिक्षकों की संख्या, स्कूल भवनों और अन्य संसाधनों का अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल हो सकेगा।

कुछ संगठनों और अभिभावकों ने इस फैसले का विरोध किया था और कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा और कई जगहों पर स्कूल दूर हो जाएंगे। लेकिन कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि सरकार का फैसला बच्चों के हित में है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि स्कूलों के विलय से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं। साथ ही, राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया गया कि स्कूलों का विलय करते समय स्थानीय जरूरतों और छात्रों की सहूलियत का ध्यान रखा जाए।

इस फैसले के बाद राज्य सरकार अब मर्ज की प्रक्रिया को और तेज़ी से आगे बढ़ा सकेगी। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है।

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