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Up Kiran, Digital Desk: एक नई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ खींचा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2050 तक भारत दुनिया में तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता यानी खरीदार बन सकता है। अभी यह स्थान चीन के पास है, लेकिन अगले कुछ दशकों में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा।

क्यों बढ़ेगी भारत में तेल की मांग?

इस रिपोर्ट को इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने जारी किया है। इसके पीछे कुछ बड़े कारण बताए गए हैं:

बढ़ती आबादी और शहरीकरण: भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है और लोग गांवों से शहरों की ओर आ रहे हैं। इससे गाड़ियों, बसों और ट्रांसपोर्ट की जरूरतें बढ़ेंगी, जिसके लिए ज्यादा पेट्रोल-डीजल की खपत होगी।

इंडस्ट्री का विकास: जैसे-जैसे भारत में फैक्ट्रियां और उद्योग बढ़ेंगे, मशीनों को चलाने और सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए ईंधन की मांग भी आसमान छुएगी।

सस्ती लेबर: भारत में काम करने वाले लोग आसानी से और कम लागत पर मिल जाते हैं, जिससे विदेशी कंपनियां भी यहाँ आकर अपना कारोबार बढ़ा रही हैं।

अभी हम कहाँ हैं? फिलहाल, भारत दुनिया में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हमसे आगे अमेरिका और चीन हैं। हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा तेल दूसरे देशों से खरीदते हैं।

चीन की रफ्तार धीमी क्यों? रिपोर्ट बताती है कि चीन अब अपनी अर्थव्यवस्था को मैन्युफैक्चरिंग से हटाकर सर्विस सेक्टर की ओर ले जा रहा है। साथ ही, वे इलेक्ट्रिक गाड़ियों और साफ-सुथरी ऊर्जा पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं, जिससे उनकी तेल पर निर्भरता कम हो रही है।

पेट्रोकेमिकल सेक्टर की भूमिका: रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भविष्य में तेल का इस्तेमाल सिर्फ गाड़ियां चलाने के लिए नहीं, बल्कि प्लास्टिक, पेंट और फर्टिलाइजर जैसी चीजें बनाने के लिए ज्यादा होगा। इस मामले में भी भारत सबसे आगे निकल सकता है।

यह रिपोर्ट भारत के लिए एक बड़ी खबर है। एक तरफ यह हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था को दिखाता है, तो दूसरी तरफ यह हमें ऊर्जा के नए स्रोतों और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ तेजी से बढ़ने की जरूरत भी बताता है ताकि हम तेल पर अपनी निर्भरता कम कर सकें।