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Up Kiran, Digital News: हमारे दुश्मनों के दोस्त कौन हैं। ये सवाल अब सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं रह गया है। जब देश पर हमला होता है तो भावनाएं उफान पर होती हैं और नजरें दुनिया भर के देशों की ओर उठती हैं-कौन हमारे साथ खड़ा है और कौन नहीं।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भी यही नज़ारा देखने को मिला। इस हमले में भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया और देश भर में गुस्से की लहर दौड़ पड़ी।
जहां एक ओर अमेरिका इजरायल और रूस जैसे शक्तिशाली देशों ने खुलकर भारत का समर्थन किया वहीं कुछ ऐसे भी देश थे जिनका रुख लोगों को चौंकाने वाला लगा।
भारत के साथ कौन खड़ा
अमेरिका, इजरायल और रूस ने इंडिया पाक तनाव में भारत का साथ दिया। इन तीनों देशों का रुख भारतीय जनता के लिए संतोषजनक और भरोसा दिलाने वाला रहा। ये वो देश हैं जिनके साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी लंबे समय से गहरी होती जा रही है।
मगर ये तीन "पर्यटन-प्रिय" देश पाकिस्तान के साथ खड़े क्यों
भारत के लिए चौंकाने वाली बात यह रही कि तुर्की अज़रबैजान और मलेशिया जैसे देश-जहां भारतीयों का भारी संख्या में पर्यटन होता है। उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाज़ी की या भारत विरोधी माहौल में चुप्पी साध ली।
तुर्की ने कूटनीतिक तौर पर भारत की कार्रवाई पर सवाल उठाए और पाकिस्तान की "संप्रभुता" की बात दोहराई। हालांकि भारत से तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या में 2024 में 20.7% की बढ़ोतरी दर्ज की गई मगर यह समर्थन भारतीयों के बीच नाराजगी का कारण बन रहा है।
अज़रबैजान ने पाकिस्तान के साथ अपने “भाईचारे” को दोहराते हुए भारत पर किसी भी प्रकार की आलोचना से परहेज़ नहीं किया। इधर 2024 में भारत से अज़रबैजान जाने वाले पर्यटकों की संख्या 243589 तक पहुंच गई जो 2023 के मुकाबले 108% की बढ़ोतरी है। पर्यटन बोर्ड भी भारतीयों के इस बढ़ते रुझान को बढ़ावा दे रहा है।
मलेशिया ने हाल ही में भारतीय नागरिकों के लिए वीज़ा छूट की मियाद 31 दिसंबर 2026 तक बढ़ा दी है जो एक स्वागत योग्य कदम है। मगर कूटनीतिक मंचों पर मलेशिया लगातार पाकिस्तान समर्थक रुख अपनाता रहा है खासकर जब कश्मीर मुद्दे की बात आती है।
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