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Up Kiran, Digital Desk: इज़रायल द्वारा किए गए एक बड़े सैन्य हमले में दुनिया के सबसे बड़े गैस क्षेत्रों में से एक साउथ पारस को गंभीर क्षति पहुँची है, जिससे इस क्षेत्र में गैस उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया है। यह पहली बार है जब इज़रायल ने ईरान के तेल और गैस बुनियादी ढांचे को सीधा निशाना बनाया है, जो स्पष्ट संकेत है कि अब वह केवल सैन्य नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी ईरान को कमजोर करने की रणनीति अपना रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संघर्ष लंबा चला, तो वैश्विक तेल और गैस की कीमतों में तीव्र उछाल संभव है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

साउथ पारस: ऊर्जा का विश्व स्तरीय स्रोत

ईरान के दक्षिणी बुशहर प्रांत के समुद्री क्षेत्र में स्थित साउथ पारस गैस क्षेत्र, प्रतिदिन लगभग 12 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन करता था। यह क्षेत्र फ़ारस की खाड़ी में ईरान और कतर की सीमाओं के बीच फैला हुआ है। कतर के हिस्से को "नॉर्थ फील्ड" कहा जाता है, जो एलएनजी (LNG) का वैश्विक आपूर्तिकर्ता है।

ईरान के कुल गैस भंडार का लगभग 50% हिस्सा यहीं मौजूद है और देश के 66% गैस उत्पादन की आपूर्ति इसी क्षेत्र से होती है। अमेरिका और रूस के बाद, ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक है, जिसकी वार्षिक गैस उत्पादन क्षमता लगभग 275 बिलियन क्यूबिक मीटर है  जो वैश्विक सप्लाई का करीब 6.5% है।

भीतर से जूझता ईरान

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान अपनी अधिकांश गैस घरेलू उपयोग के लिए रखता है। गैस उसके लिए केवल निर्यात की वस्तु नहीं, बल्कि घरेलू जीवन, उद्योग और अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसके विपरीत, कतर इसी क्षेत्र से हर साल 77 मिलियन टन LNG का निर्यात करता है।

इस हमले के बाद भविष्य में ईरान के अन्य ऊर्जा ठिकानों पर हमलों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, जिससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी खतरे में पड़ सकती है।

ईरान में गहराता आर्थिक संकट

ईरान पहले से ही भारी मुद्रास्फीति और आर्थिक दबाव से जूझ रहा है। इसकी जनसंख्या इज़रायल से लगभग 10 गुना अधिक है, वही 2024 में इसकी जीडीपी 434 बिलियन डॉलर थी  जो इज़रायल की 540 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से कम है।

तेल और गैस, ईरान की आय का सबसे बड़ा स्रोत हैं, मगर पहले से ही अमेरिकी और पश्चिमी प्रतिबंधों ने उसे वैश्विक बाजारों से अलग-थलग कर दिया है।

चीन की चिंता भी बढ़ी

ईरान के तेल निर्यात का 90% से अधिक हिस्सा चीन को जाता है। अब वही तेल और गैस संयंत्रों पर हमला हुआ है, तो इससे चीन की ऊर्जा आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। मार्च 2025 में, चीन ने ईरान से प्रतिदिन 1.8 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया था। यदि हमले जारी रहते हैं, तो यह चीनी अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा झटका हो सकता है  खासकर उस समय जब चीन खुद संसाधनों की आपूर्ति को कूटनीतिक हथियार बना रहा है।

ईरानी शासन के सामने कठिन विकल्प

ईरान की अर्थव्यवस्था पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड और धार्मिक संगठनों का प्रभुत्व है, जो न पारदर्शी हैं और न ही कर-प्रदाता। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तंत्र दीर्घकालिक युद्ध की स्थिति में अस्थिर हो सकता है। इज़रायल के खिलाफ आर्थिक और सामरिक रूप से लंबी लड़ाई ईरान के लिए एक बहुआयामी चुनौती बन सकती है।