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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका की ओर से भारत पर आयात शुल्क बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत तक करने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस को जन्म दे दिया है। ऐसे वक्त में जब भारत खुद को वैश्विक व्यापार में स्थापित करने की जद्दोजहद में है, एक ‘दोस्त देश’ ईरान उसके पक्ष में खुलकर सामने आया है।
नई दिल्ली स्थित ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने अमेरिका की नीतियों पर सीधा हमला बोला और उसे ऐसे देश के रूप में वर्णित किया, जो आर्थिक दबाव को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। उनके मुताबिक, अमेरिका का यह रवैया नया नहीं है, बल्कि वह दशकों से इस रणनीति का सहारा लेता आया है।
"आर्थिक हमले से कोई भी देश सुरक्षित नहीं"
एक प्रमुख चैनल से बातचीत में डॉ. इलाही ने कहा कि “अमेरिका की ओर से अर्थव्यवस्था को दबाव बनाने के औजार के रूप में इस्तेमाल करना नई रणनीति नहीं है। 20वीं सदी से ही वॉशिंगटन ने कई संप्रभु राष्ट्रों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को हथियार बनाया है, खासकर उन देशों के लिए जो अपनी **स्वतंत्र नीति और आत्मनिर्भरता की राह पर चलने की कोशिश करते हैं।"
ईरानी राजदूत के अनुसार, यह सिर्फ भारत की लड़ाई नहीं है। “आज अमेरिका भारत को निशाना बना रहा है, कल कोई और होगा। असल में, दुनिया का कोई भी ऐसा देश नहीं बचा है, जो इस तरह के आर्थिक हमले से पूरी तरह सुरक्षित हो।”
ईरान का अनुभव: 40 वर्षों से झेल रहा है दबाव
डॉ. इलाही ने अमेरिका और ईरान के तनावपूर्ण इतिहास को भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि “ईरान को पिछले चार दशकों से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जो बात आज चिंता पैदा करती है, वह यह है कि ट्रंप प्रशासन इन कदमों को खुलेआम और गर्व से लागू कर रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित हो रहा है।”
भारत पर ट्रंप का फैसला और वैश्विक प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कुछ प्रमुख आयातों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस फैसले के बाद भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात अब पहले से कहीं अधिक महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान, और रोज़गार पर असर पड़ने की संभावना है।
ट्रंप की यह नीति केवल व्यापारिक मसले तक सीमित नहीं है, बल्कि भूराजनीतिक दबाव का भी हिस्सा मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस तरह के कदमों से वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इससे व्यापारिक साझेदारों में विश्वास की कमी पैदा हो रही है।
भारत को मिल रहा वैश्विक समर्थन
ईरान के अलावा कई और देश भी अमेरिका की इस आक्रामक नीति को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। हालांकि, भारत के समर्थन में ईरान का यह स्पष्ट रुख बताता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई साझेदारियाँ बन रही हैं और अमेरिका के एकतरफा फैसले अब पहले जैसे प्रभावशाली नहीं रह गए हैं।
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