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Up Kiran, Digital Desk: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा "ग्रेटर इज़राइल" (Greater Israel) की परिकल्पना से जुड़ाव महसूस करने के बयान ने पूरे मध्य पूर्व में, विशेष रूप से अरब देशों में, भारी हंगामा खड़ा कर दिया है। इस बयान के बाद सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, कतर, फिलिस्तीन और अरब लीग जैसे देशों व संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने नेतन्याहू के इस बयान को "खतरनाक", "उकसाने वाला", "औपनिवेशिक मानसिकता" से प्रेरित और क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया है।

"ग्रेटर इज़राइल" की अवधारणा, जिसे अक्सर ऐतिहासिक इज़राइल की सीमाओं के विस्तार के रूप में समझा जाता है, जिसमें वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी, सीरिया का गोलान हाइट्स, मिस्र का सिनाई प्रायद्वीप और जॉर्डन के कुछ हिस्से शामिल हो सकते हैं, इस क्षेत्र के लिए लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है।

नेतनयाहू का 'ग्रेटर इज़राइल' से जुड़ाव: क्या है पूरा मामला?

एक समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में, जब प्रधानमंत्री नेतन्याहू से पूछा गया कि क्या वे "ग्रेटर इज़राइल" की दृष्टि से जुड़ाव महसूस करते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, "बहुत ज़्यादा" (Very much) उन्होंने कहा कि वे "ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मिशन" पर हैं, जो उन यहूदी पीढ़ियों के लिए है जिन्होंने यहां आने का सपना देखा था और जो भविष्य में भी आएंगे। इस बयान को अरब देशों द्वारा इज़राइल की विस्तारवादी नीतियों और यहूदी बस्तियों के निर्माण की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है।

अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया: कतर ने भी नेतन्याहू के बयानों की निंदा की और इसे "क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा" बताया
मिस्र ने इन बयानों पर स्पष्टीकरण मांगा है, यह कहते हुए कि वे “अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं और क्षेत्र में शांति की अस्वीकृति को दर्शाते हैं।”
फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इसे "उत्तेजना और एक खतरनाक वृद्धि" बताया जो "क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डालती है।

उन्होंने "यहूदी बस्ती और विस्तारवादी विचारों" को अस्वीकार कर दिया।
अरब लीग ने नेतन्याहू की टिप्पणियों की निंदा करते हुए उन्हें "अरब राज्यों की संप्रभुता का स्पष्ट उल्लंघन" और "क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को कमजोर करने का प्रयास" बताया।

"ग्रेटर इज़राइल" का ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ "ग्रेटर इज़राइल" की अवधारणा 19वीं सदी के ज़ायोनिस्ट आंदोलन से जुड़ी है, जिसका उद्देश्य यहूदी लोगों के लिए एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण और बड़े भूभाग पर एक यहूदी राज्य की स्थापना करना था। कुछ व्याख्याओं में, यह इज़राइल की वर्तमान सीमाओं से परे, जॉर्डन नदी और भूमध्य सागर के बीच के पूरे क्षेत्र को शामिल करता है।यह विचार अक्सर इज़राइल की विस्तारवादी नीतियों और फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इसके नियंत्रण से जुड़ा रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का एक प्रमुख स्रोत है।

क्षेत्रीय शांति पर प्रभाव:नेतनयाहू के इन बयानों को मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अरब देशों का मानना है कि ऐसे बयान दो-राष्ट्र समाधान (two-state solution) की संभावनाओं को कमजोर करते हैं और क्षेत्र में संघर्ष को बढ़ा सकते हैं। ये बयान इजराइल के अपने सहयोगियों के साथ संबंधों को भी तनावपूर्ण बना रहे हैं, खासकर जब इजराइल गाजा में अपने सैन्य अभियानों के कारण पहले से ही आलोचना का सामना कर रहा है।

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