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Up Kiran, Digital Desk: ईरान में हाल ही में एक के बाद एक हुए धमाकों ने आम लोगों में डर और असमंजस फैला दिया है। एक ही दिन में कई शहरों में हुए इन विस्फोटों से न सिर्फ नागरिक इलाकों को नुकसान पहुंचा, बल्कि कुछ ऐसे क्षेत्र भी प्रभावित हुए जहां सैन्य प्रतिष्ठान और परमाणु संयंत्र मौजूद हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने देश में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सबसे पहले धमाका कोम शहर में हुआ, जहां एक रिहायशी इमारत पूरी तरह बर्बाद हो गई। ईरानी प्रशासन ने प्रारंभिक जांच में इसे गैस रिसाव का नतीजा बताया, लेकिन इसके तुरंत बाद देश के अन्य शहरों से भी विस्फोटों और आगजनी की खबरें सामने आने लगीं। तेहरान के एक अपार्टमेंट ब्लॉक में आग लग गई, जबकि मशहद और तबरीज में भी इसी तरह की घटनाएं दर्ज की गईं। तबरीज में हालात ऐसे बने कि एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय करना पड़ा।

आम लोगों का कहना है कि इन घटनाओं ने उन्हें गहरे मानसिक तनाव में डाल दिया है। लगातार धमाकों और प्रशासन की अस्पष्ट जानकारी ने डर का माहौल बना दिया है। कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर सरकार से पारदर्शिता की मांग की है, जबकि कुछ इन घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की आशंका भी जता रहे हैं।

ईरान की ओर से दावा किया गया कि सभी घटनाएं तकनीकी खामियों, खासकर गैस लाइनों की खराबी के कारण हुई हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिन जगहों पर धमाके हुए हैं, वे अधिकतर सैन्य गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, तेहरान में खतम अल-अनबिया परिसर में लगी आग उस स्थान पर लगी जहां ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) का इंजीनियरिंग मुख्यालय है।

इन धमाकों के बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने फारसी भाषा में एक तंज कसने वाली पोस्ट की, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान को आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता देने के बजाय अपनी गैस पाइपलाइनों की मरम्मत करनी चाहिए। इससे इन घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति भी गरमा गई है।

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