Up Kiran, Digital Desk: व्रत हो या हल्का-फुल्का नाश्ता, साबूदाना हममें से ज्यादातर लोगों की रसोई का एक अहम हिस्सा है। इसके सफेद, मोती जैसे दाने देखकर अक्सर मन में सवाल आता है कि आखिर यह बनता कैसे है? अगर आप सोचते हैं कि यह किसी खेत में गेहूं या चावल की तरह अनाज के रूप में उगता है, तो आप बिल्कुल गलत हैं! असल में, साबूदाने की कहानी एक जड़ से शुरू होती है और आपकी थाली तक पहुंचने का इसका सफर बेहद दिलचस्प है।
कहां से आता है साबूदाना?साबूदाना टैपिओका (Tapioca) की जड़ से बनाया जाता है, जिसे भारत में 'कसावा' के नाम से भी जाना जाता है। यह दिखने में काफी हद तक शकरकंद जैसा होता है। यह जमीन के अंदर उगता है और इसमें स्टार्च भरपूर मात्रा में होता है। यही स्टार्च साबूदाना बनाने का मुख्य कच्चा माल है।
जड़ से 'मोती' बनने का सफरजड़ों की कटाई और सफाई: सबसे पहले, किसान खेतों से टैपिओका की जड़ों को निकालते हैं। फिर उन्हें अच्छी तरह से धोया जाता है ताकि सारी मिट्टी और गंदगी निकल जाए।
स्टार्च निकालना: इसके बाद, इन जड़ों को कुचलकर या पीसकर उनमें से दूध जैसा सफेद स्टार्च निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में काफी पानी का इस्तेमाल होता है ताकि जड़ों से सारा स्टार्च अलग हो जाए।
स्टार्च को जमाना: इस दूधिया पानी को बड़े-बड़े टैंकों में कई घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है। धीरे-धीरे स्टार्च नीचे बैठ जाता है और एक गाढ़ा पेस्ट बन जाता है, जबकि पानी ऊपर रह जाता है, जिसे निकाल दिया जाता है।
गोल आकार देना: अब इस गाढ़े स्टार्च के पेस्ट को एक खास मशीन में डाला जाता है, जिसमें छोटी-छोटी छेद वाली जालियां लगी होती हैं। जब पेस्ट को इन छेदों से गुजारा जाता है, तो यह छोटे-छोटे गोल दानों का आकार ले लेता है—ठीक वैसे ही जैसे हम आज साबूदाना देखते हैं।
सुखाना और पॉलिश करना: इन कच्चे और नरम दानों को फिर तेज आंच पर भूना या सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया से वे सख्त हो जाते हैं और उनमें एक खास तरह की चमक आ जाती है। बस, अब आपका पसंदीदा साबूदाना पैक होने के लिए तैयार है।
क्या साबूदाना सेहत के लिए अच्छा है?
साबूदाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान:
फायदे:ऊर्जा का खजाना: इसमें कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा होता है, जो शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। यही वजह है कि इसे व्रत में खाया जाता है।
ग्लूटेन-फ्री: यह ग्लूटेन-फ्री होता है, इसलिए जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
नुकसान:पोषक तत्वों की कमी: एनर्जी के अलावा, इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स जैसे जरूरी पोषक तत्व लगभग न के बराबर होते हैं।
हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स: इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी ज्यादा होता है, जिसका मतलब है कि यह ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकता है। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को इसे सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
कैसे बनाएं परफेक्ट साबूदाना?
साबूदाने को चिपचिपा होने से बचाने का सबसे बड़ा राज इसे सही तरीके से भिगोना है। इसे पकाने से कम से कम 4-5 घंटे पहले साफ पानी में भिगोकर रख दें, ताकि यह नरम और फूला-फूला बने।
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