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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि सेब काटने के बाद उनका रंग धीरे-धीरे काला क्यों हो जाता है? आमतौर पर हम मानते हैं कि ये बदलाव आयरन की वजह से होता है, लेकिन क्या यह सही है? वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह काले होने की प्रक्रिया पूरी तरह से कुछ और है, जिसे एंजाइमेटिक ब्राउनिंग कहा जाता है। आइए जानते हैं कि आखिरकार सेब और अन्य फलों में यह परिवर्तन क्यों आता है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है।

क्या है एंजाइमेटिक ब्राउनिंग

एंजाइमेटिक ब्राउनिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें फल या सब्जी के हवा के संपर्क में आने पर एक रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू होती है। इस प्रतिक्रिया में फल में मौजूद फेनोलिक यौगिक और एंजाइम टायरोसिनेस मिलकर ऑक्सीकरण की प्रक्रिया को जन्म देते हैं, जिससे फल का रंग बदलकर काला या भूरा हो जाता है।

जब हम सेब या केला काटते हैं, तो उनकी सतह हवा के संपर्क में आ जाती है और इस प्रतिक्रिया को प्रेरित करती है। जैसे ही एंजाइम टायरोसिनेस फल के पत्तों या गूदे के फेनोलिक यौगिकों के साथ मिलते हैं, यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसके कारण फल का रंग बदलने लगता है।

क्या होता है इस प्रक्रिया में

इस प्रक्रिया में एक खास रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिसे ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया कहा जाता है। जब फल के गूदे में मौजूद फेनोलिक यौगिक हवा से संपर्क करते हैं, तो वे ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, और इस प्रक्रिया में पैदा होने वाले रासायनिक तत्वों की वजह से फल का रंग बदलता है। यह एक प्राकृतिक रासायनिक परिवर्तन है और इसमें किसी भी हानिकारक तत्व का निर्माण नहीं होता। हालांकि, यह निश्चित रूप से सेब या अन्य फलों की स्वाभाविक सुंदरता को प्रभावित करता है।

 

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