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Up Kiran, Digital Desk: श्रीवत्स गोस्वामी का यह बयान निश्चित ही दिलचस्प है, और इसमें कुछ सच्चाई भी है। विराट कोहली की टेस्ट क्रिकेट में जो भूमिका थी, वह बहुत प्रभावशाली थी, खासकर उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने एक नए आत्मविश्वास के साथ खेला। उनका खेल और मैदान पर ऊर्जा भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। टेस्ट क्रिकेट में कोहली की मौजूदगी न केवल उनकी बल्लेबाजी बल्कि उनकी आक्रामकता और मानसिक मजबूती की वजह से भी प्रभावी रही है।

हालांकि, गोस्वामी का यह कहना कि कोहली को वनडे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए था, एक विचारणीय बात है। वनडे क्रिकेट में भी कोहली का रिकॉर्ड शानदार है और वह इस प्रारूप में अभी भी टीम के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन यह भी सच है कि टेस्ट क्रिकेट में उनकी कमी भारतीय टीम को महसूस हो रही है, खासकर पिछले कुछ सीरीज़ में जहां टीम को एक मजबूत बल्लेबाजी नेतृत्व की आवश्यकता थी।

कई बार खिलाड़ी अपनी करियर की दिशा खुद तय करते हैं, और कोहली ने जो फैसला लिया, वह उनकी स्थिति और भविष्य को देखते हुए किया होगा। लेकिन यह जरूर है कि टेस्ट क्रिकेट में उनकी जो ऊर्जा और जोश था, वह किसी और खिलाड़ी में देखने को नहीं मिलता था।