आज की दुनिया में, जहां हर तरफ मोबाइल स्क्रीन और तेजी से ऊपर-नीचे होती फीड्स का बोलबाला है, वहीं एक किताब खोलकर पढ़ना आज भी कुछ नया सीखने, सोचने और खुद को बेहतर बनाने का सबसे ताकतवर तरीका है। किताबें पढ़ना सिर्फ एक अच्छी आदत नहीं है, बल्कि यह मन को शांत रखने, दिमाग को तेज करने और दूसरों के दर्द को समझने की काबिलियत बढ़ाने का एक आजमाया हुआ तरीका है।
किताबें कैसे तनाव कम करती हैं?
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, जरूरत से ज्यादा जानकारी और बढ़ते तनाव के बीच किताबें हमें एक अलग ही दुनिया में ले जाकर राहत देती हैं। रिसर्च बताती है कि सिर्फ 20-30 मिनट तक किताब पढ़ने से भी दिल की धड़कन धीमी हो जाती है और मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह काफी हद तक ध्यान (मेडिटेशन) करने जैसा ही काम करता है।
याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाती हैं
किताबें पढ़ने की एक और बड़ी वजह यह है कि इससे हमारी सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती है। किताबें पढ़ते समय हमें कहानी के मोड़, किरदारों की बातें और नई-नई जानकारियों को याद रखना पड़ता है। इस तरह की दिमागी कसरत से हमारी याददाश्त और एकाग्रता समय के साथ बेहतर होती जाती है।
बुढ़ापे में भी दिमाग को रखती हैं जवान
स्टडीज में यह भी पाया गया है कि जो लोग जिंदगी भर पढ़ते रहते हैं, बुढ़ापे में उनकी याददाश्त कमजोर होने की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। इसका मतलब है कि किताबें सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि हमारे दिमाग को लंबे समय तक स्वस्थ रखने का एक निवेश हैं।
दूसरों को समझने का जरिया
जब हम फिक्शन या कहानियां पढ़ते हैं, तो हम अलग-अलग तरह के किरदारों की जिंदगी को जीते हैं और उनके नजरिए से दुनिया को देखते हैं। इससे हमारी इमोशनल इंटेलिजेंस (भावनाओं को समझने की क्षमता) बढ़ती है और हम दूसरों के प्रति ज्यादा empathetic (सहानुभूति रखने वाले) और दयालु बनते हैं।
बचपन से ही पढ़ने की आदत डालना सबसे अच्छा होता है, लेकिन इसकी शुरुआत किसी भी उम्र में की जा सकती है। चाहे वह रात में सोने से पहले कुछ पन्ने पढ़ना हो या दोस्तों के साथ बुक क्लब बनाना हो, किताबें हमारी जिंदगी की सबसे अच्छी दोस्त साबित हो सकती हैं।
_1112949343_100x75.png)
_63150990_100x75.png)
_114596749_100x75.jpg)
_1198401258_100x75.png)
_1796174974_100x75.png)