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Up Kiran, Digital Desk: मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है. भारत में बनी स्टेम सेल थेरेपी पहली बार जापान जैसे एडवांस मेडिकल बाजार में इस्तेमाल होने जा रही है. मणिपाल ग्रुप के समर्थन वाली भारतीय कंपनी ‘स्टेमप्यूटिक्स रिसर्च’ (Stempeutics Research) ने जापान की कंपनी ‘मेडीनेट’ (Medinet) के साथ एक बड़ी डील साइन की है.

इस डील के तहत, स्टेमप्यूटिक्स का बनाया हुआ प्रोडक्ट ‘स्टेमप्यूसेल’ (Stempeucel) जापान के बाज़ार में उतारा जाएगा. यह एक खास तरह की दवा है जो पैरों की एक बेहद गंभीर बीमारी ‘क्रॉनिक लिम्ब थ्रेटनिंग इस्कीमिया’ (CLTI) का इलाज करती है.

क्या है यह बीमारी और क्यों खास है यह इलाज?

CLTI पैरों की धमनियों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें खून का दौरा लगभग बंद हो जाता है. अगर इसका समय पर इलाज न हो, तो पैर काटने तक की नौबत आ जाती है. मौजूदा इलाज सिर्फ 25% मामलों में ही कारगर होते हैं. यहीं पर भारत की यह दवा उम्मीद की नई किरण लेकर आई है. ‘स्टेमप्यूसेल’ शरीर में खून के दौरे को दोबारा शुरू करने में मदद करती है, जिससे मरीज़ का पैर बचाया जा सकता है.

डील की बड़ी बातें:बेंगलुरु में बनेगी, जापान में बिकेगी: इस दवा का प्रोडक्शन पूरी तरह से भारत में ही होगा. इसे बेंगलुरु की फैक्ट्री में बनाकर इलाज के लिए सीधे जापान भेजा जाएगा.

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: जापान की कंपनी मेडीनेट इस दवा को अपने देश में विकसित और बेचेगी, जिसके लिए उसे भारतीय कंपनी से लाइसेंस मिला है.

क्या है ‘स्टेमप्यूसेल’?: यह एक स्टेम सेल थेरेपी है, जिसे स्वस्थ डोनर्स की कोशिकाओं (सेल्स) से तैयार किया गया है. इसकी खास तकनीक इसे दुनिया की बाकी सेल थेरेपी से ज़्यादा असरदार बनाती है.

यह डील न सिर्फ स्टेमप्यूटिक्स के लिए, बल्कि पूरे भारतीय बायोटेक और फार्मा सेक्टर के लिए एक बहुत बड़ी कामयाबी है. यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ दवाएं बनाने में ही नहीं, बल्कि नई और एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी बनाने में भी दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है.