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                                                Up Kiran, Digital Desk: रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर भारत ने एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। भारत की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) के साथ एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, रूस का मशहूर यात्री विमान सुखोई SJ-100 अब भारत में बनाया जाएगा।
यह डील ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए एक बड़ी कामयाबी है, जिसका मकसद भारत को एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
क्या है सुखोई SJ-100 की खासियत?
सुखोई SJ-100 एक शॉर्ट-हॉल यानी कम दूरी की यात्रा के लिए बनाया गया यात्री विमान है। इसमें 87 से 98 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरी तरह से रूसी टेक्नोलॉजी और पार्ट्स से बनाया गया है, ताकि पश्चिमी देशों पर निर्भरता खत्म हो सके। अब यही टेक्नोलॉजी भारत आएगी और इन विमानों का निर्माण HAL की फैक्ट्रियों में होगा।
भारत के लिए यह समझौता क्यों है खास?
बढ़ेगा घरेलू बाजार: भारत का एविएशन मार्केट दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने की ‘उड़ान’ योजना के चलते ऐसे छोटे विमानों की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत में इन विमानों के बनने से घरेलू एयरलाइन कंपनियों को एक सस्ता और भरोसेमंद विकल्प मिलेगा।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: इस समझौते से भारत को पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाने की एडवांस टेक्नोलॉजी और अनुभव मिलेगा, जिससे भविष्य में भारत खुद अपने यात्री विमान डिजाइन और विकसित कर सकेगा।
रोजगार के मौके: भारत में फैक्ट्री लगने से हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
मजबूत होंगे भारत-रूस संबंध: यह समझौता भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगा, जो अब रक्षा से बढ़कर सिविल एविएशन तक पहुंच गई है।
यह डील सिर्फ एक विमान बनाने का समझौता नहीं, बल्कि भारत की आसमान में आत्मनिर्भर होने की ऊंची उड़ान का प्रतीक है।
 
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