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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में एक बार फिर से डीजीपी की कुर्सी को लेकर हलचल तेज हो गई है। 31 मई 2025 को कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार के कार्यकाल का समापन होने जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या उन्हें सेवा विस्तार मिलेगा या यूपी को मिलेगा एक स्थायी पुलिस प्रमुख या फिर एक बार फिर से "कार्यवाहक डीजीपी" का पुराना रास्ता अपनाया जाएगा।

यूपी सरकार की परंपरा या मजबूरी

11 मई 2022 से अब तक यूपी में चार कार्यवाहक डीजीपी रह चुके हैं। सरकार ने स्थायी डीजीपी नियुक्त करने के लिए कई बार पहल की लेकिन कभी प्रस्ताव लौटा दिए गए तो कभी पैनल ही नहीं भेजा गया। प्रशांत कुमार फरवरी 2024 से यूपी के कार्यवाहक डीजीपी हैं लेकिन अब उनके सेवा विस्तार को लेकर अफवाहें तेज हैं।

सूत्रों के मुताबिक प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

कौन-कौन हैं रेस में

यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिलता है तो यूपी के अगले डीजीपी के लिए कई नाम चर्चा में हैं। सबसे आगे माने जा रहे हैं राजीव कृष्णा, संदीप सालुके, रेणुका मिश्रा, तिलोत्तमा वर्मा।

स्थायी डीजीपी के चयन की नई नियमावली

हाल ही में यूपी सरकार ने 2024 की 'पुलिस महानिदेशक चयन एवं निर्देशावली' को मंजूरी दी है। इसके तहत एक चयन समिति होगी जिसमें रिटायर्ड जज यूपीएससी और यूपीपीएससी के प्रतिनिधि गृह सचिव और पूर्व डीजी शामिल होंगे। डीजीपी वही बन सकता है जिसकी सेवा रिक्त पद की तारीख से कम से कम छह महीने शेष हो। चयनित अधिकारी को दो साल का कार्यकाल दिया जाएगा (यदि सेवा अवधि हो)।

क्या इस बार टूटेगा 'कार्यवाहक' का सिलसिला

यूपी में पिछले तीन वर्षों से स्थायी डीजीपी का इंतजार हो रहा है। हर बार किसी न किसी कारणवश सरकार कार्यवाहक नियुक्ति पर ही अटक जाती है। लेकिन इस बार एक नई नियमावली राजनीतिक इच्छाशक्ति और अफसरों की लंबी सूची को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार अब स्थायित्व की ओर कदम बढ़ा सकती है।

 

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