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बीते काफी दिनों में इंफ्लुएंजा के साथ-साथ कोविड-19 संक्रमण में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए इंफ्लुएंजा के मरीजों के साथ-साथ कोरोना के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। इस संबंध में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कोरोना के नए वैरिएंट की संभावना का अनुमान लगाया है और इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि आम नागरिकों में एंटीबॉडी की कमी के कारण संक्रमण की दर बढ़ रही है.

वायरस के विरूद्ध टीकाकरण के तमाम प्रयास करने के बाद भी कई लाभार्थी अभी भी टीके की दूसरी और बूस्टर खुराक से वंचित हैं। इसलिए चिकित्सा विशेषज्ञों ने देखा है कि मौजूदा कोरोना संक्रमण के बढ़ने का यह भी एक सबब हो सकता है।

इस मामले में कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. अविनाश सुपे ने कहा कि कोरोना वैक्सीन की सभी खुराक ले चुके नागरिकों को लंबा समय बीत गया है. ऐसा लगता है कि एक निश्चित अवधि के बाद कोरोना टीके का असर कम हो गया है, इसलिए एंटीबॉडी कम हो गई है.

एंटीबॉडीज को कोरोना के नए बढ़ते संक्रमण का प्रतिकार करने में कुछ वक्त लगेगा, जिसके बाद वृद्धि का सटीक कारण अधिक मजबूती से स्थापित हो सकेगा। इसको लेकर राज्य की कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राहुल पंडित ने कहा कि फिलहाल कोरोना संक्रमण के बढ़ने का विश्लेषण करने के लिए हमें मरीजों के लक्षण, उसकी गंभीरता और उनकी एंटीबॉडी पर नजर रखनी होगी. तब इस बढ़ोतरी के पीछे की हकीकत सामने आएगी।
 

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