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सरकार ने कोरोना के बाद यातायात में वृद्धि के कारण 2023-25 ​​के दौरान नागपुर समेत 25 और हवाई अड्डों का निजीकरण करने की योजना बनाई है। दस ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों में से, दुर्गापुर, कन्नूर, सिंधुदुर्ग और मोपा को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा निजी डेवलपर्स की सहायता से विकसित किया गया है। जेवर, भोगापुरम, नवी मुंबई, कराईकल और डबरा में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास भी निजी ऑपरेटरों को दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले नौ साल में देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी करने का श्रेय ले सकते हैं। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य शिंदे किसानों के लिए किसान उड़ान शुरू करने की योजना बना रहे हैं। मगर पुणे, कोलकाता और गोवा के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के नियंत्रण वाले 124 हवाई अड्डों में से अधिकांश बीते 5 सालों से भारी नुकसान झेल रहे हैं।

बीते 5 वर्ष में एएआई का घाटा 5285 करोड़ रुपए है। अगर इस अवधि के दौरान पुणे (महाराष्ट्र), कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और गोवा ने मुनाफा नहीं कमाया होता, तो घाटा आसमान छू गया होता। ये तीनों एयरपोर्ट 2020-21 और 2021-22 में भी कोविड महामारी के कारण घाटे में चल रहे थे। इन हवाई अड्डों ने 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2020 के बीच भारी मुनाफा कमाया।

अकोला, जलगाँव, जुहू, कोल्हापुर और सोलापुर सहित AAI द्वारा संचालित महाराष्ट्र के सभी हवाई अड्डे निरंतर घाटे का सामना कर रहे हैं। कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों जैसे तिरुपति, अमृतसर, चंडीगढ़, हैदराबाद, जोधपुर, शिमला, श्रीनगर आदि में बीते 5 सालों से हवाई यात्रा बंद हो रही है। 2018-2020 में मुनाफा कमाने के बाद 14 निजी हवाईअड्डों को 2020-21 में 1847 करोड़ रुपये का घाटा भी हुआ।

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