Up Kiran, Digital Desk: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा से जुड़ी गोद भराई पूजा ने हर वर्ग के भक्तों के बीच अपनी खास पहचान बनाई है। यह अनुष्ठान केवल धार्मिक श्रद्धा का हिस्सा नहीं बल्कि परिवार के सुख-समृद्धि और संतान सुख के लिए लोगों की गहरी इच्छा का प्रतीक बन चुका है। आज हम जानेंगे कि इस पूजा का क्या महत्व है और यह कैसे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक हो रही है।
गोद भराई पूजा का बढ़ता प्रभाव
मां दुर्गा की गोद भराई पूजा का प्रचलन न केवल गांवों तक सीमित है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी इसका महत्व तेजी से बढ़ रहा है। लोग इस पूजा के माध्यम से अपने घरों में खुशहाली और सौभाग्य की कामना करते हैं। खासकर वे परिवार जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं, वे इस अनुष्ठान को बड़ी श्रद्धा से करते हैं। यह पूजा पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का भी एक तरीका बन गई है।
पूजा की परंपरा और तरीका
इस पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने एक लाल या गहरा मैरून रंग की चुनरी बिछाई जाती है। फिर उस चुनरी पर सात बार हाथों से अक्षत चावल अर्पित किए जाते हैं, जो सौभाग्य का संकेत माना जाता है। इसके बाद नारियल, हल्दी, कुमकुम, मेहंदी, चूड़ियां, बिंदी और अन्य सुहाग की वस्तुएं मां की गोद में रखी जाती हैं। पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण करते हुए सिंदूर और अक्षत चढ़ाकर मां की आराधना की जाती है।
अनुष्ठान के अंत में होती है सामग्री का वितरण
पूजा समाप्त होने पर आधी मात्रा में अक्षत और नारियल जैसे सामान प्रसाद स्वरूप रखा जाता है। बाकी बची सामग्री सुहागिन महिलाओं को दान कर दी जाती है, जिससे समुदाय में सहकारी भावना भी बढ़ती है।
शुभ दिन और पूजा का महत्व
गोद भराई पूजा के लिए नवमी तिथि को सबसे शुभ माना जाता है, हालांकि षष्ठी और सप्तमी को भी यह पूजा की जा सकती है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर परिवार में सौहार्द और संतान सुख सुनिश्चित करना है।
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