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बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने सभी साइनबोर्ड से हिंदी हटाकर केवल कन्नड़ और इंग्लिश को बरकरार रखने के बाद एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर व्यापक रूप से प्रसारित वीडियो में कैद इस कदम ने ऑनलाइन गहन बहस को जन्म दिया है और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में समावेशिता, पहुंच और भाषाई पहचान के बारे में सवाल उठाए हैं।

इस वीडियो में हवाई अड्डे पर बिना किसी हिंदी टेक्स्ट के डिस्प्ले बोर्ड दिखाए गए हैं, जिसे 2 मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया है और पूरे देश में इस पर प्रतिक्रियाएं आई हैं। हालांकि इस फैसले को कन्नड़ को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम के रूप में बहुत लोगों ने समर्थन दिया है, मगर कई लोगों ने इसकी आलोचना भी की है, जो भारत की सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी को हटाने को अव्यावहारिक और बहिष्कारपूर्ण मानते हैं।

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

इस कदम के समर्थकों का तर्क है कि कर्नाटक की राजधानी में स्थित हवाई अड्डे पर राज्य की आधिकारिक भाषा को प्रमुखता दी जानी चाहिए। एक यूजर ने टिप्पणी की, कि आखिरकार कन्नड़ को उसकी उचित पहचान मिल गई है। ये बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। अन्य लोगों ने इसे गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी के अत्यधिक इस्तेमाल या थोपे जाने के रूप में देखा।