img

Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र के सतारा जिले में महिला डॉक्टर की आत्महत्या को लेकर अब एक और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। आरोप है कि डॉक्टर पर मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बदलाव करने का दबाव डाला गया था। यह दावा किया है भाग्यश्री मारुति पंचांगने नाम की महिला ने, जिन्होंने मृतका की मां होने का दावा किया। भाग्यश्री का कहना है कि उनकी बेटी दीपाली की खुदकुशी के मामले में डॉक्टर पर गलत रिपोर्ट तैयार करने का दबाव था।

क्या था घटना का पूरा विवरण?

दीपाली की शादी सेना के एक अधिकारी, अजिंक्य हनमंत निंबालकर से हुई थी। भाग्यश्री ने बताया कि दीपाली के साथ ससुराल में अक्सर मारपीट होती थी। 19 अगस्त को अजिंक्य का फोन आया और उसने बताया कि दीपाली अस्पताल में भर्ती हैं। जब भाग्यश्री वहां पहुंची तो उन्हें बताया गया कि दीपाली ने आत्महत्या कर ली। लेकिन भाग्यश्री का मानना है कि यह आत्महत्या नहीं, हत्या थी। उनका कहना है कि दीपाली प्रेग्नेंट थीं और उनकी एक छोटी बच्ची भी थी, ऐसे में वह आत्महत्या नहीं कर सकती थीं।

डॉक्टर पर दबाव डालने का आरोप

भाग्यश्री ने दावा किया कि उनके अनुसार, दीपाली की ससुराल वालों ने अपने राजनीतिक रसूख और पुलिस संबंधों का इस्तेमाल करके डॉक्टर पर दबाव डाला। डॉक्टर ने कथित तौर पर दीपाली की मौत को "नेचुरल डेथ" के रूप में रिपोर्ट किया था, जबकि भाग्यश्री का मानना है कि यह किसी तरह की साजिश का हिस्सा था। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की पूरी तरह से विधिवत जांच की जाए।

सुसाइड नोट और आरोप

मृतका महिला डॉक्टर ने अपनी आत्महत्या से पहले अपने हाथ की हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखा था, जो कि अब चर्चा का विषय बन गया है। इसके अलावा, मृतक डॉक्टर ने चार पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें एक पूर्व सांसद का नाम भी था। सुसाइड नोट में दावा किया गया था कि पूर्व सांसद के दो सहयोगी डॉक्टर पर गलत मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने का दबाव डाल रहे थे।

राजनीतिक और पुलिस दबाव

डॉक्टर के एक रिश्तेदार ने भी कहा था कि उन्हें स्थानीय पुलिस और राजनीतिक लोगों द्वारा दबाव डाला जाता था। वे उनसे बार-बार रिपोर्ट में छेड़छाड़ करने को कहते थे, लेकिन जब उन्होंने इस बारे में थाने में शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अब क्या होगा?

महिला डॉक्टर की खुदकुशी मामले में सामने आए आरोपों ने पूरे मामले को एक नई दिशा दी है। भाग्यश्री पंचांगने के द्वारा उठाए गए आरोपों के बाद पुलिस को इस मामले की पुनः जांच करनी चाहिए। यह मामला केवल एक आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या, दबाव, और राजनीतिक रसूख के प्रभाव में हुई गलत रिपोर्टिंग का भी प्रतीक बन गया है।