img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव की पहली लिस्ट जनता दल (यूनाइटेड) ने जारी कर दी है। इस लिस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति का असली चेहरा साफ झलकता है। यादव जाति से दूरी बनाकर इस बार भी कुर्मी, कुशवाहा, मंडल, धानुक, राजपूत और भूमिहारों को ही मुख्य स्थान दिया गया है। नतीजा यह हुआ कि कोई नई किस्म की उम्मीद नहीं नजर आ रही।

पुराने साथी, पुराने इलाके

समता पार्टी से जुड़े पुराने सहयोगी मंजीत सिंह को इस बार भी उनका पारंपरिक क्षेत्र बरौली से टिकट मिला है। उनके पिता बाबू ब्रज किशोर नारायण सिंह ने 1972 में पहली बार इसी इलाके से विधायक चुने थे। भूमिहार जाति से ताल्लुक रखने वाले डॉ कुमार पुष्पांजय को भी चित्तौड़गढ़, बरबीघा और शेखपुरा से टिकट मिला है। ये दोनों परिवार अपनी-अपनी जाति और इलाके में लंबे समय से सक्रिय हैं।

बिना मुस्लिम उम्मीदवार के पहली लिस्ट

इस बार जदयू की पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है। लिस्ट में पांच मंत्री और करीब 30 नए चेहरे शामिल हैं। मुख्यमंत्री आवास से टिकट वितरण का यह तरीका पार्टी की परंपरागत प्रेस कॉन्फ्रेंस से हटकर रहा। टिकट के लिए आए प्रत्याशियों की आवाजाही और हलचल पूरे दिन जारी रही।

पटना में नाटक, गोपाल मंडल का धरना

पटना में टिकट वितरण के दौरान एक नाटकीय घटना भी सामने आई। गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल बिना अनुमति मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। उन्हें मिलने से मना किए जाने पर वे धरने पर बैठ गए। गोपाल मंडल और जदयू सांसद अजय मंडल के बीच टिकट को लेकर विवाद चल रहा है। अजय मंडल ने आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने की बात भी कही कि उनके इलाके के टिकट बिना उनकी सलाह के बांटे जा रहे हैं।

NDA बनाम महागठबंधन: जातीय समीकरण की जंग

बिहार के दो बड़े राजनीतिक गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन ने अपने-अपने क्षेत्रों के हिसाब से उम्मीदवारों का चयन किया है। जहां लालू यादव और मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ सवर्णों को भी अपनी पकड़ में लेने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं एनडीए पुराने चुनावी फार्मूले पर कायम है।