Up Kiran, Digital Desk: नीतीश कुमार दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। राजभवन में भारी भीड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शपथ ग्रहण हुआ। उनके साथ 26 अन्य नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इन 26 में सिर्फ तीन महिलाएं हैं। यानी कुल मिलाकर महिलाओं का हिस्सा महज 11 प्रतिशत।
जब पूरा राज्य आधी आबादी की ताकत की बात कर रहा है तो सवाल उठना लाजमी है कि सरकार बनाने में सबसे बड़ा रोल निभाने वाली महिलाओं को सत्ता में इतनी कम भागीदारी क्यों?
ये हैं नीतीश मंत्रिमंडल की तीन महिला चेहरे
- लेशी सिंह पूर्णिया जिले की धमदाहा सीट से छठी बार विधायक बनीं लेशी सिंह नीतीश के लिए पुराना और भरोसेमंद नाम हैं। पिछले कार्यकाल में भी वे खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रह चुकी हैं। इस बार उन्होंने राजद उम्मीदवार को 55 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। नीतीश ने फिर उन पर दांव खेला।
- श्रेयसी सिंह जमुई से भाजपा की टिकट पर पहली बार विधायक बनीं नेशनल स्तर की निशानेबाज श्रेयसी सिंह को सीधे कैबिनेट में जगह मिली। उन्होंने राजद उम्मीदवार को करीब 54 हजार वोटों के अंतर से धूल चटाई। भाजपा कोटे से उनकी एंट्री को युवा और स्पोर्ट्स चेहरा देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
- रमा निषाद औराई विधानसभा से जीतीं रमा निषाद मुजफ्फरपुर के पूर्व भाजपा सांसद अजय निषाद की पत्नी हैं। उन्होंने वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार को भी 54 हजार वोटों से पीछे छोड़ा। निषाद समुदाय की मजबूत पकड़ वाले इलाके में उनकी जीत को एनडीए ने खासा प्रचारित किया था।
आधी आबादी ने दिया बंपर वोट, मिली टोकन रिप्रेजेंटेशन?
इस बार बिहार में कुल वोटिंग प्रतिशत रिकॉर्ड तोड़ने वाला रहा और सबसे चौंकाने वाली बात यह कि महिलाओं ने पुरुषों से कहीं ज्यादा मतदान किया। जीविका दीदी समूहों को मिली आर्थिक मदद, शराबबंदी और लाडली योजनाओं का असर साफ दिखा। ग्रामीण इलाकों में तो कई जगह महिलाएं लाइन में सबसे आगे खड़ी नजर आईं।
एनडीए को 202 सीटें मिलीं और विश्लेषकों का मानना है कि इनमें कम से कम 60-70 सीटों पर महिला वोटरों ने फैसला पलट दिया। फिर भी जब सत्ता बंटवारे की बारी आई तो सिर्फ तीन महिलाओं को ही मंत्री बनाया गया।
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