
Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि दशकों तक जिसे देश का एक दूर-दराज का इलाका समझा जाता था, आज वही पूर्वोत्तर (Northeast) भारत के विकास की कहानी का केंद्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ-ईस्ट अब प्रगति का इंतजार करने वाला सीमांत क्षेत्र नहीं, बल्कि देश का 'फ्रंट रनर' यानी अगुआ बन गया है।
रेलवे नेटवर्क से जुड़ा मिजोरम
यह ऐतिहासिक मौका था मिजोरम के लिए बैराबी-साइरांग रेलवे लाइन के उद्घाटन का। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया, "यह एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो मिजोरम को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ता है। यह व्यापार, कनेक्टिविटी और अवसरों के नए द्वार खोलेगा।"
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के एक लेख की भी सराहना की, जिसमें बताया गया है कि कैसे पीएम मोदी की 'एक्ट ईस्ट' नीति के कारण यह बड़ा बदलाव संभव हुआ है।
रेल मंत्री ने बताया, कैसे बदला नॉर्थ-ईस्ट
अश्विनी वैष्णव ने अपने लेख में लिखा, "कई दशकों तक नॉर्थ-ईस्ट को विकास की राह देखता एक दूर का इलाका माना जाता था। वहां के हमारे भाई-बहनों की तरक्की की आकांक्षाएं थीं, लेकिन उन्हें वे अवसर नहीं मिले जिनके वे हकदार थे। पीएम मोदी की 'एक्ट ईस्ट' नीति के बाद सब कुछ बदल गया।"
उन्होंने बताया कि यह बदलाव रेलवे, सड़कों, हवाई अड्डों और डिजिटल कनेक्टिविटी में रिकॉर्ड निवेश के माध्यम से संभव हुआ है। शांति समझौतों से स्थिरता आ रही है। रेलवे के बजट में 2009-14 की तुलना में पांच गुना वृद्धि की गई है। 2014 से 2025 तक, इस क्षेत्र के लिए कुल 62,477 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, और आज 77,000 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाएं चल रही हैं।
इंजीनियरिंग का कमाल है यह रेल लाइन
रेल मंत्री ने बताया कि 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी 51 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन पहली बार मिजोरम की राजधानी आइजोल को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगी। यह लाइन बेहद मुश्किल पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है, जिसके लिए रेलवे के इंजीनियरों ने 143 पुल और 45 सुरंगें बनाई हैं। इनमें से एक पुल तो दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने साइरांग से दिल्ली (राजधानी एक्सप्रेस), कोलकाता (मिजोरम एक्सप्रेस) और गुवाहाटी (आइजोल इंटरसिटी) के लिए तीन नई ट्रेन सेवाओं को भी हरी झंडी दिखाई।
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