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Up Kiran, Digital Desk: जब भी दुनिया में सबसे अधिक बारिश की बात होती है, तो ज्यादातर लोगों के ज़ेहन में चेरापूंजी का नाम आता है। लेकिन सच्चाई अब कुछ बदल चुकी है। मेघालय की हरी-भरी घाटियों में बसा एक और छोटा सा कस्बा है, जिसे अब धरती पर सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान माना जाता है — नाम है मासिनराम।
चेरापूंजी से आगे निकला मासिनराम
लंबे वक्त तक चेरापूंजी को सर्वाधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में जाना जाता रहा, लेकिन अब इस खिताब को पास के ही मासिनराम ने हासिल कर लिया है। चेरापूंजी से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मासिनराम में हर साल औसतन 11,871 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इस आँकड़े ने इसे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र बना दिया है।
गिनीज रिकॉर्ड में नाम दर्ज
मासिनराम की इस अद्भुत विशेषता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। इसकी लगातार भारी बारिश के चलते इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह दी गई है। कभी जिस रिकॉर्ड पर चेरापूंजी का नाम दर्ज था, वह अब मासिनराम के हिस्से आ गया है।
क्यों बरसता है यहां इतना पानी?
मासिनराम की भौगोलिक स्थिति इसे अत्यधिक वर्षा वाला क्षेत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कस्बा खासी हिल्स में 1,491 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी स्थिति बंगाल की खाड़ी के नजदीक है, जिससे यहां समुद्री नमी से भरपूर हवाएं आती हैं। जब ये नम हवाएं खासी पहाड़ियों से टकराती हैं, तो ठंडी होकर घने बादलों में बदल जाती हैं और फिर होती है मूसलधार बारिश। जुलाई के महीने में तो यहां की बारिश चरम पर होती है।
मासिनराम के निवासियों की जीवनशैली
इतनी अधिक बारिश वाले क्षेत्र में जीवन आसान नहीं होता, लेकिन मासिनराम के लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीना सीख चुके हैं। यहां के लोग ‘कनूप’ नामक बांस से बनी विशेष छतरियों का इस्तेमाल करते हैं, जो उन्हें सिर से घुटनों तक ढक लेती हैं। लगातार बारिश से सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं और खेती करना भी चुनौतीपूर्ण होता है, फिर भी यहां की उपजाऊ मिट्टी में चाय और संतरे की खेती होती है। स्थानीय लोग सामान को प्लास्टिक में लपेटकर सुखाते हैं और वर्षा को जीवन का हिस्सा मानते हैं, न कि बाधा।
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