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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में शहरी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'ग्रेटर गाजियाबाद' के गठन की घोषणा कर दी है। गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि इस प्रस्तावित शहर के दायरे में लोनी, मुरादनगर और खोड़ा-मकनपुर जैसे प्रमुख कस्बों को गाजियाबाद नगर निगम में मिलाया जाएगा। इस योजना के लागू होने के बाद गाजियाबाद के शहरी क्षेत्र में न केवल भौगोलिक विस्तार होगा, बल्कि जनसंख्या और संसाधनों की दृष्टि से भी यह काफी मजबूत होगा।
दिल्ली से सटी लोनी भी होगा हिस्सा
गौरतलब है कि लोनी, जो कि दिल्ली की उत्तर-पूर्वी सीमा से सटा हुआ इलाका है, ग्रेटर गाजियाबाद के अंतर्गत शामिल किया जा रहा है। यह कदम राजधानी क्षेत्र में बढ़ती आबादी और दबाव को संतुलित करने की दिशा में एक अहम रणनीति मानी जा रही है।
सीएम योगी ने कहा, “गाजियाबाद अब सिर्फ एक ट्रांजिट पॉइंट नहीं रहा। यह एक आत्मनिर्भर, गतिशील शहर के रूप में उभरा है। अब समय आ गया है कि इसका दायरा और बढ़ाया जाए।”
बुनियादी ढांचे में आई तेज़ी
मुख्यमंत्री ने गाजियाबाद में हाल के वर्षों में हुए आधारभूत विकास का भी उल्लेख किया। हिंडन सिविल टर्मिनल, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, और रैपिड रेल जैसे बड़े प्रोजेक्ट अब शहर की पहचान बन चुके हैं। उन्होंने कहा, “एक समय था जब गाजियाबाद को अपराधों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह प्रगति और प्रशासन की मिसाल बन चुका है।”
तीन नगरपालिकाओं का होगा एकीकरण
प्रस्तावित योजना के अनुसार, मुरादनगर, खोड़ा-मकनपुर और लोनी की नगरपालिकाओं को गाजियाबाद नगर निगम में विलय किया जाएगा। इससे निगम क्षेत्र 220 से बढ़कर करीब 300 वर्ग किलोमीटर तक फैल जाएगा, और जनसंख्या में भी 9 लाख की बढ़ोतरी का अनुमान है। निगम में अब 100 की जगह कुल 214 वार्ड होंगे, जिनमें लोनी से 55, खोड़ा-मकनपुर से 34 और मुरादनगर से 25 वार्ड शामिल होंगे।
नया शहर बनाना आसान नहीं
एक नया शहर खड़ा करना सिर्फ इमारतें बनाना भर नहीं है। यह एक पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने जैसा है, जिसमें आवास, रोजगार, परिवहन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं शामिल होती हैं। ऐसे में इसमें कई सरकारी विभागों, निजी संस्थाओं और आम जनता का सहयोग आवश्यक होता है।
शहर विस्तार की असल वजहें
तेजी से बढ़ती आबादी और औद्योगिक विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस विस्तार की पहल की है। योगी सरकार का उद्देश्य न केवल जनसंख्या दबाव को कम करना है, बल्कि गाजियाबाद को एक स्मार्ट और सतत विकासशील शहरी मॉडल के रूप में विकसित करना भी है। यह न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और रणनीतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।
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