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US Pakistan relations: पाकिस्तान एक ऐसा देश जो अक्सर अपने आर्थिक संकटों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगता रहा है। अब एक बार फिर संकट के बीच खड़ा है। कभी-कभी IMF के दरवाजे पर खड़ा होता है, तो कभी अरब देशों से मदद की गुहार लगाता है। इस बार उसकी ये 'भीख' मांगने की आदत कुछ ज्यादा काम नहीं कर रही है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। इससे उसकी आर्थिक स्थिति और भी खस्ताहाल हो गई है।

ट्रंप का सख्त रुख

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता को रोक दिया था और अब उन्होंने सिविल सहायता पर भी रोक लगा दी है। 2024 में जो बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को 16 मिलियन डॉलर (138 करोड़ रुपये) की सिविल सहायता दी थी, जो कि पाकिस्तान की आर्थिक रूप से कमजोर जनता के कल्याण के लिए दी थी। हालांकि, ये राशि भी अब नहीं मिलेगी।

पाक को पिछले सालों में अमेरिका से हर साल 80 मिलियन डॉलर (690 करोड़ रुपये) की सहायता मिलती रही है। परन्तु ट्रंप के सख्त रुख के कारण ये सिलसिला थम गया है। ट्रंप ने ये स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान की फितरत धोखा देने की है और वह हर साल अमेरिकी सहायता को अफगान युद्ध और अन्य कार्यों के नाम पर लेता है। असल में पाक द्वारा इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।