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hindi medium engineering: भारत में इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब तक अंग्रेजी के दायरे में सिमटी थी, मगर AICTE (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) की नई पहल ने इसे बदलने का बीड़ा उठाया है। 12 भारतीय भाषाओं में कोर्स शुरू करने का ये फैसला लाखों छात्रों के लिए राहत की सांस लेकर आया है।

हिन्दी से लेकर तमिल और बंगाली से लेकर असमिया तक। अब इंजीनियरिंग की किताबें और क्लासरूम की भाषा वही होगी, जो छात्र की अपनी होगी। AICTE ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी शुरू कर दी है। 600 इंजीनियरिंग कॉलेजों को पहले और दूसरे साल की किताबों के लिए ग्रांट दी जा चुकी है और 2026 तक सभी कोर्स की सामग्री तैयार हो जाएगी।

इस पहल का सबसे बड़ा फायदा उन छात्रों को होगा, जो अंग्रेजी में कमजोर होने की वजह से तकनीकी कॉन्सेप्ट समझने में मुश्किल महसूस करते थे। AICTE के चेयरमैन प्रो. टी.जी. सीताराम ने बताया कि हमारा मकसद शिक्षा को समावेशी बनाना है। मातृभाषा में पढ़ाई से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और ड्रॉपआउट रेट कम होगा। इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी इस्तेमाल हो रहा है। ये किताबों का अनुवाद और तकनीकी शब्दावली को आसान बनाने में मदद कर रहा है।

पटना के एक इंजीनियरिंग छात्र राहुल कुमार ने कहा कि अंग्रेजी में समझने में दिक्कत होती थी। अब हिन्दी में पढ़ाई होगी, तो कॉन्सेप्ट आसानी से समझ आएँगे। शिक्षकों का भी मानना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को फायदा होगा। अक्सर भाषा की वजह से वे छात्र पीछे रह जाते हैं। मगर चुनौतियाँ भी कम नहीं। किताबों का सटीक अनुवाद, शिक्षकों की ट्रेनिंग और तकनीकी शब्दों का मानकीकरण ये सब वक्त और मेहनत मांगता है।