Up Kiran, Digital Desk: भारत के मेडिकल सेक्टर के लिए एक बहुत बड़ी और गर्व की खबर आई है. बेंगलुरु की बायोटेक कंपनी स्टेमप्यूटिक्स (Stempeutics), जिसे मणिपाल ग्रुप का समर्थन है, ने जापान में एक ऐतिहासिक डील की है. कंपनी को अपने एक क्रांतिकारी स्टेम सेल प्रोडक्ट के लिए जापान की एक बड़ी फार्मा कंपनी से अपनी तरह का पहला मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का कॉन्ट्रैक्ट मिला है.
यह उपलब्धि भारत को दुनिया के स्टेम सेल रिसर्च मैप पर एक मजबूत खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करती है.
किस बीमारी का है यह इलाज?
स्टेमप्यूटिक्स ने बर्गर डिजीज (Buerger's Disease) जैसी एक गंभीर और लाइलाज बीमारी के इलाज के लिए यह स्टेम सेल थेरेपी विकसित की है. बर्गर डिजीज में हाथों और पैरों की खून की नसें ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे भयानक दर्द होता है और कई बार तो मरीज के हाथ-पैर तक काटने पड़ जाते हैं.
यह बीमारी धूम्रपान करने वालों में ज्यादा पाई जाती है और इसका कोई स्थायी इलाज अब तक मौजूद नहीं था.
क्या है यह क्रांतिकारी प्रोडक्ट?
इस दवा का नाम स्टेंप्यूसेल (Stempeucel) है. यह एक "ऑलोजेनिक" स्टेम सेल प्रोडक्ट है, जिसका मतलब है कि इसे किसी स्वस्थ डोनर के बोन मैरो (हड्डी के अंदर का गूदा) से लिया जाता है और इससे कई मरीजों का इलाज किया जा सकता है. इस प्रोडक्ट को भारत में पहले ही लिमिटेड इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है.
जापान के साथ हुई इस डील का क्या मतलब है?
जापान अपनी सख्त रेगुलेटरी प्रक्रियाओं और हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड्स के लिए जाना जाता है. वहां से इस तरह की मंजूरी और कॉन्ट्रैक्ट मिलना स्टेमप्यूटिक्स की टेक्नोलॉजी और रिसर्च की बहुत बड़ी जीत है.
इस डील के तहत, स्टेमप्यूटिक्स जापान की फार्मा कंपनी तोको याकुहिन कोग्यो (Toko Yakuhin Kogyo) को यह टेक्नोलॉजी देगी. जापानी कंपनी फिर इस दवा को जापान में बनाएगी और बेचेगी. बदले में, स्टेमप्यूटिक्स को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर फीस और बेची गई हर दवा पर रॉयल्टी मिलेगी.
मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप (MEMG) के चेयरमैन रंजन पई ने इसे "आत्मनिर्भर भारत की एक बेहतरीन मिसाल" बताया, जहां भारत में विकसित एक विश्व स्तरीय तकनीक अब दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक की मदद करने जा रही है. यह सफलता भारत के "मेक इन इंडिया" और "मेक फॉर द वर्ल्ड" सपने को साकार करती है.
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