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Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बुधवार को हुई 35 मिनट की टेलीफोन बातचीत ने एक बार फिर वैश्विक सुरक्षा और दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब ट्रंप की पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख से बैठक निर्धारित थी — जिससे इस चर्चा के रणनीतिक मायने और भी गहरे हो गए।

1. ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी नेता को मिली पूरी जानकारी

मोदी ने बातचीत की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विस्तार से जानकारी देकर की। उन्होंने कहा, “भारत आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ निर्णायक रुख अपना चुका है, और अब यह केवल नीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मूल मंत्र बन चुका है।”

प्रधानमंत्री ने इस दौरान यह भी उल्लेख किया कि पिछले महीने सात अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थन किया है, जो दर्शाता है कि वैश्विक समुदाय अब भारत के रुख के साथ खड़ा है।

2. "अब गोली का जवाब गोली से" — मोदी का स्पष्ट संदेश

अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब आतंकवाद को “छद्म युद्ध” नहीं बल्कि सीधा युद्ध मानता है। उनका कहना था कि “हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई गोली चलाएगा, तो जवाब भी गोली से मिलेगा — और ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है।”

3. "मध्यस्थता का कोई सवाल नहीं" — भारत का स्पष्ट रुख

बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-पाकिस्तान संबंधों और व्यापार समझौते पर चर्चा करने की इच्छा जताई, मगर मोदी ने इस पर दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता और न ही करेगा।” यह बयान एक तरह से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हाल ही में बढ़ते कूटनीतिक संवाद पर भारत की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

4. सैन्य संपर्क बनाए रखने की पुष्टि

मोदी ने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि पाकिस्तान की ओर से सैन्य तनाव को कम करने की कोशिशें हुई हैं। उन्होंने कहा कि “भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच मौजूदा संवाद चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान के अनुरोध पर बातचीत की गई, लेकिन यह आतंकवाद पर हमारी नीति को कमजोर नहीं करेगा।”

5. ट्रंप का दौरा प्रस्ताव और मोदी की व्यस्तता

चर्चा के अंत में ट्रंप ने प्रस्ताव रखा कि यदि प्रधानमंत्री कनाडा से लौटते समय अमेरिका में कुछ समय के लिए रुक सकें, तो एक अनौपचारिक मुलाकात की जा सकती है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी  निर्धारित व्यस्तताओं का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को विनम्रताक अस्वीकार कर दिया।

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