
Up Kiran, Digital Desk: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्जेंटीना की यात्रा पर थे, तो उन्होंने केवल कूटनीतिक संबंध ही नहीं मजबूत किए, बल्कि एक ऐसे देश की कहानी को भी फिर से ताजा कर दिया जो कभी दुनिया की सबसे अमीर अर्थव्यवस्थाओं में से एक था, लेकिन अब लगातार आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। अर्जेंटीना का सफर, समृद्धि की ऊंचाइयों से बार-बार के पतन तक, विकासशील देशों के लिए एक बड़ा सबक है।
समृद्धि का स्वर्ण युग:
बीसवीं सदी की शुरुआत में, अर्जेंटीना एक आर्थिक शक्ति था। कृषि और निर्यात में अपनी मजबूत पकड़ के चलते, प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे कई यूरोपीय देशों से भी आगे था। दुनिया भर से लोग "अर्जेंटीना के सपने" को पूरा करने के लिए वहां जाते थे, ठीक वैसे ही जैसे लोग "अमेरिकी सपने" के पीछे जाते हैं। विशाल खेत, प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और एक गतिशील समाज, सब कुछ अर्जेंटीना के पक्ष में था।
पतन का सिलसिला: 7 बार क्यों ढहा?
यह समृद्धि टिकाऊ साबित नहीं हुई। अर्जेंटीना ने बार-बार गंभीर आर्थिक संकट (लगभग 7 बार बड़े पैमाने पर) देखे हैं, जिसकी मुख्य वजहें ये रहीं:
राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य तख्तापलट: 20वीं सदी में अर्जेंटीना ने कई सैन्य तख्तापलट और कमजोर लोकतांत्रिक सरकारों का लंबा दौर देखा। लगातार बदलते नेतृत्व और नीतियों ने आर्थिक स्थिरता को बुरी तरह प्रभावित किया।
लोकलुभावन नीतियाँ और आर्थिक कुप्रबंधन: जुआन पेरोन जैसे नेताओं ने सत्ता में आने के लिए बड़े पैमाने पर लोकलुभावन नीतियाँ अपनाईं। उन्होंने उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया, सरकारी खर्च बढ़ाया और सब्सिडी दी, जिससे अल्पकालिक लाभ तो हुए, लेकिन लंबे समय में अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा, मुद्रास्फीति बेकाबू हो गई और सरकारी खजाना खाली हो गया।
उच्च मुद्रास्फीति और कर्ज का जाल: अर्जेंटीना लगातार उच्च मुद्रास्फीति से जूझता रहा है, जो अक्सर 100% या उससे भी अधिक तक पहुंच जाती है। सरकारें कर्ज लेती रहीं, लेकिन भुगतान करने में विफल रहीं, जिससे कई बार अंतरराष्ट्रीय कर्ज में चूक (default) हुई। हर चूक के बाद, देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज लेने पड़े, जो कठोर शर्तों के साथ आते थे।
मुद्रा का अवमूल्यन और पूँजी पलायन: आर्थिक संकटों के दौरान मुद्रा का भारी अवमूल्यन हुआ, जिससे विदेशी निवेश कम हो गया और स्थानीय लोगों ने अपनी संपत्ति देश से बाहर भेजना शुरू कर दिया।
भ्रष्टाचार और संस्थागत कमजोरी: व्यापक भ्रष्टाचार और कमजोर संस्थागत ढांचे ने भी आर्थिक कुप्रबंधन को बढ़ावा दिया और निवेशकों का विश्वास कम किया।
वर्तमान स्थिति:
आज भी अर्जेंटीना उच्च मुद्रास्फीति (जो 100% से अधिक बनी हुई है) और बढ़ती गरीबी से जूझ रहा है। IMF से लिए गए भारी कर्ज को चुकाना उसके लिए एक बड़ी चुनौती है। पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भी, यह चर्चा का विषय था कि कैसे एक ऐसा देश जिसके पास इतनी क्षमता थी, वह राजनीतिक और आर्थिक अदूरदर्शिता के कारण बार-बार लड़खड़ाया।
अर्जेंटीना की कहानी यह दिखाती है कि केवल प्राकृतिक संसाधनों या शुरुआती समृद्धि से ही कोई देश महान नहीं बन जाता। स्थिर राजनीतिक व्यवस्था, जिम्मेदार आर्थिक प्रबंधन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और दूरदर्शी नीतियाँ किसी भी राष्ट्र की दीर्घकालिक सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह सबक दुनिया के हर उस देश के लिए है जो विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।
--Advertisement--