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punjab news: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हत्या और बलात्कार के गंभीर आरोपों में जेल में सजा काट रहे डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोबारा पैरोल देने के सरकार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह फैसला सरकार के दोहरे रवैये को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि सरकार राजनीतिक फायदे के लिए राम रहीम को बार-बार फरलो व पैरोल देती है, जबकि देश की विभिन्न जेलों में तीन दशक से बंद सिखों को सजा पूरी होने के बावजूद रिहा नहीं किया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा है। भाई बलवंत सिंह राजोआना की माफी पर निर्णय लेने के लिए सरकार को न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले ही राजनीतिक लाभ के लिए राम रहीम के जघन्य अपराधों पर आंखें मूंदकर उसे चुनावों के दौरान फरलो और पैरोल दे दी थी और अब फिर से दिल्ली विधानसभा और हरियाणा नगर निगम चुनावों में राजनीतिक लाभ के लिए उसे बाहर निकाला गया है। जेल की सजा, जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार की ऐसी नीतियों से सिखों में अलगाव की भावना पैदा हो रही है। अधिवक्ता धामी ने मांग की कि राम रहीम की पैरोल तुरंत रद्द की जाए और उसे वापस जेल भेजा जाए।