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दिल्ली में इस साल की गर्मी ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर गरीब और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं पर पड़ा है। थर्मल कैमरे से ली गई तस्वीरों में इन महिलाओं की कठिनाइयों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

दिल्ली के सीमापुरी इलाके में कचरा बीनने वाली माजिदा बेगम (65) कहती हैं, "यह जिंदा रहने का सवाल है।" उनका कहना है कि गर्मी के कारण वह बीमार पड़ गईं और 15 दिन तक काम नहीं कर पाईं। उनके पति 70 वर्ष के हैं और चल-फिर नहीं सकते, जिससे उनकी पूरी आय माजिदा पर निर्भर है।  

इसी तरह, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की बसंती नाग (28) भी गर्मी के कारण मतली और सुस्ती का अनुभव कर रही हैं। वह पानी की तलाश में लंबी दूरी तय करती हैं, जो गर्मी के कारण और भी कठिन हो गया है।  

ग्रीनपीस इंडिया और नेशनल हॉकर्स फेडरेशन के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि दिल्ली में रेहड़ी-पटरी पर काम करने वाली आठ महिलाओं में से सात को गर्मी के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या हुई। इसके अलावा, अधिकांश महिलाओं ने गर्मी के कारण नींद न आने और थकान की शिकायत की।  

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, महिलाएं पहले ही पुरुषों के मुकाबले औसतन 20% कम कमाती हैं, और भीषण गर्मी के कारण यह अंतर और बढ़ गया है। गर्मी के कारण कामकाजी महिलाओं की आय में औसतन 8% की कमी आई है।  

दिल्ली में इस साल की गर्मी ने न केवल तापमान के रिकॉर्ड तोड़े हैं, बल्कि यह गरीब और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए एक गंभीर संकट बन गई है। इन महिलाओं की कठिनाइयों को समझना और उनके लिए ठंडक और सुरक्षा के उपाय करना अत्यंत आवश्यक है। 

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