
मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, पाकिस्तान ने उससे दूरी बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि तहव्वुर राणा पिछले बीस वर्षों से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को नवीनीकरण नहीं करवा पाया है और उसकी कनाडाई नागरिकता स्पष्ट रूप से स्थापित है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया पूर्वनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकती है, क्योंकि राणा को भारतीय एजेंसियों के हवाले किए जाने के बाद वह पाकिस्तान की भूमिका से जुड़े कई राज उजागर कर सकता है। राणा पर आरोप है कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना से जुड़ा रहा है और मुंबई हमलों में उनकी संलिप्तता की जानकारी रखता है।
भारत लाए जाने के बाद तहव्वुर राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) गहन पूछताछ करेगी। अधिकारियों के मुताबिक, यह पूछताछ भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की गहराई से जांच के लिए अहम मानी जा रही है। पूछताछ के लिए उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत हिरासत में लिया जाएगा और माना जा रहा है कि उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा जा सकता है।
एनआईए ने राणा के खिलाफ 11 नवंबर 2009 को मुकदमा दर्ज किया था। एजेंसी के अनुसार, राणा ने पाकिस्तानी आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी के सदस्यों के साथ मिलकर भारत में आतंकी गतिविधियों की साजिश रची थी। 2008 में हुए मुंबई हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इस आतंकी हमले को पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था।
अब जब राणा भारत में जांच एजेंसियों के सामने होगा, तो उम्मीद है कि इन हमलों के पीछे छिपे कई गहरे राज सामने आ सकते हैं।