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Up Kiran, Digital News: नेपाल की हरी-भरी वादियों में वर्षों से खुलेआम गांजे की खेती होती है। वहीं, भारत में शराबबंदी के बाद से नशे का ये कारोबार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। बिहार जैसे सूबों में गांजा तस्करी अब एक संगठित अपराध की शक्ल ले चुका है। ताजा मामला मेजरगंज थाना क्षेत्र का है, जहां एक कोरोला कार से 220 किलो गांजा बरामद हुआ है। खास बात ये है कि कार को चालक गांव में छोड़कर फरार हो गया।
कैसे हुआ खुलासा
बराही पैक्स गोदाम के पास एक स्थानीय टेंपो को कोरोला कार ने ठोकर मार दी। इस मामूली घटना ने एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर दिया। लोगों की भीड़ जुटी, और इसी दौरान चालक मौका देख फरार हो गया। किसी ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद गश्ती दल में तैनात राजीव रंजन मौके पर पहुंचे और कार (जेएच 05 जेड 7101) को थाने ले आए।
पहले कार की डिक्की से 193.5 किलो गांजा बरामद हुआ। बाद में पुलिस को शक हुआ तो सीट के नीचे भी तलाशी ली गई, जहां से और गांजा मिला। कुल बरामदगी 220 किलो तक पहुंच गई।
नेपाल से बिहार तक तस्करी का नेटवर्क
नेपाल से सटे इलाकों में गांजा की तस्करी कोई नई बात नहीं है। वहां इसकी खेती वैध नहीं होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन की ढील और भूगोल की जटिलताओं के कारण ये धंधा फल-फूल रहा है। नेपाल से ये गांजा भारत में पैदल, बाइक या छोटे वाहनों से तस्करी कर लाया जाता है, फिर शहरी क्षेत्रों तक खपाया जाता है।
पुलिस और SSB की तैनाती के बावजूद तस्कर अपनी चालबाजियों से कई बार सफल हो जाते हैं। अक्सर ऐसे मामलों में तस्कर पहली बार नहीं बल्कि ‘लकी रन’ पर होते हैं – जब तक पकड़े न जाएं, धंधा चलता रहता है।
शराबबंदी का ‘साइड इफेक्ट’
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद तस्करी और अवैध नशीले पदार्थों का कारोबार तेजी से बढ़ा है। पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि अब पारंपरिक शराब की तस्करी के साथ गांजा और अफीम जैसी चीज़ों की मांग बढ़ी है। ये पदार्थ अब युवा वर्ग तक भी पहुंच रहे हैं, जो चिंता का विषय है।
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