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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल अब चरम पर है। हर कोई अपनी-अपनी जीत के लिए रणनीति बना रहा है। बिहार की सियासत में इस बार तगड़ा मुकाबला होने वाला है। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच चल रही राजनीतिक जंग अब दिलचस्प मोड़ पर आ पहुंची है।

अखिलेश यादव का बिहार दौरा, गठबंधन को मिलेगा तगड़ा समर्थन

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अब बिहार की सियासत में सक्रिय हो गए हैं। 1 नवंबर से अखिलेश यादव बिहार के तीन प्रमुख जिलों – पूर्णिया, मधुबनी और दरभंगा में चुनावी रैलियां करने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो वह 3 दिन तक बिहार में रहकर महागठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करेंगे।

अखिलेश यादव का फोकस मुख्यत: सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्रों में होगा, जहां सपा को अपने पक्ष में अधिक से अधिक वोट जुटाने की उम्मीद है। उनके चुनाव प्रचार को लेकर सपा कार्यकर्ताओं में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।

डिंपल यादव भी जुड़ीं चुनाव प्रचार में

समाजवादी पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। इसमें अखिलेश यादव के अलावा डिंपल यादव, आजम खान, अफजाल अंसारी, इकरा हसन, प्रिया सरोज और सांसद राजीव राय जैसे बड़े नेता शामिल हैं। खबरें हैं कि डिंपल यादव भी बिहार के चुनाव प्रचार में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं, जिससे सपा के कार्यकर्ताओं में और भी जोश आ सकता है।

योगी आदित्यनाथ का समर्थन: एनडीए का बड़ा दांव

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एनडीए के उम्मीदवारों के लिए लगातार प्रचार कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की रैलियां बिहार में जोर पकड़ रही हैं और उनकी भाषा और शैली ने एनडीए के पक्ष में जनमत को और मजबूत किया है।

इसके साथ ही चिराग पासवान और गिरिराज सिंह जैसे नेता भी एनडीए की ओर से लगातार चुनावी रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं। ये सभी नेता एनडीए के लिए एक मजबूत चेहरा बन कर सामने आ रहे हैं।

बिहार में मतदान की तारीखें तय

चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीखों का ऐलान कर दिया है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 121 सीटों पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा, जहां 122 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे।

मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। उसी दिन यह तय होगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथों में जाएगी। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 तक है, लेकिन उससे पहले यह चुनाव न सिर्फ सत्ता का भविष्य तय करेगा, बल्कि आगामी राजनीति को भी प्रभावित करेगा।