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कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने वेटिकन में सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। यह खबर जैसे ही सामने आई, पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। वेटिकन की ओर से कार्डिनल केविन फेरेल ने उनके निधन की पुष्टि की और बताया कि उनका जीवन पूरी तरह से चर्च और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था।

शोक संदेश में उन्हें एक ऐसे आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में याद किया गया, जिन्होंने हमेशा साहस, करुणा और गरीबों के साथ खड़े रहने का संदेश दिया। वे येसु मसीह के सच्चे अनुयायी माने गए, जिनका जीवन प्रेरणा का स्रोत बना।

अब किसे मिलेगी पोप की जिम्मेदारी?

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि अगला कैथोलिक धर्मगुरु कौन होगा? यह फैसला चर्च की पारंपरिक और गुप्त प्रक्रिया “कॉन्क्लेव” के जरिए किया जाएगा। इस प्रक्रिया में वेटिकन के वरिष्ठ धर्मगुरु—कार्डिनल्स—मिलकर नए पोप का चुनाव करते हैं।

हालांकि, अभी कोई नाम आधिकारिक नहीं है, लेकिन चर्च के जानकारों और विश्लेषकों ने संभावित उत्तराधिकारियों के कुछ नामों को सामने रखा है। आइए जानते हैं उन प्रमुख दावेदारों के बारे में, जिनमें से कोई एक अगला पोप बन सकता है।

1. कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन (इटली)
70 वर्षीय पिएत्रो पारोलिन को पोप फ्रांसिस का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है। वे 2013 से वेटिकन के गृह सचिव (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) हैं और वेटिकन की कूटनीति व प्रशासन दोनों में गहरी समझ रखते हैं। फ्रांसिस की सुधारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनका अनुभव, संतुलित दृष्टिकोण और विश्व राजनीति की समझ उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है।

2. कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले (फिलीपींस)
68 वर्षीय टैगले एशिया से आते हैं और वर्तमान में डिकास्ट्री फॉर इवेंजलाइजेशन के प्रमुख हैं। वे समाजसेवा, गरीबों के अधिकारों और न्याय पर गहरा विश्वास रखते हैं। फ्रांसिस की सोच से मेल खाने वाला उनका दृष्टिकोण, और एशिया में तेजी से बढ़ते कैथोलिक समुदाय का प्रतिनिधित्व उन्हें एक प्रबल उम्मीदवार बनाता है।

3. कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी (इटली)
बोलोग्ना के आर्चबिशप मातेओ ज़ुप्पी 70 वर्ष के हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय माने जाते हैं। उन्हें फ्रांसिस ने यूक्रेन-रूस संघर्ष में शांति वार्ता की जिम्मेदारी सौंपी थी। वे सेंट’एगिडियो समुदाय के सदस्य हैं, जो समाजसेवा और मध्यस्थता में सक्रिय है। उनके शांतिप्रिय और सहयोगी स्वभाव के चलते वे भी संभावित नामों में शामिल हैं।

4. कार्डिनल पीटर एर्डो (हंगरी)
73 वर्षीय पीटर एर्डो यूरोपीय कैथोलिक चर्च का एक प्रभावशाली चेहरा हैं। वे एस्ज़्टरगोम-बुडापेस्ट के आर्चबिशप हैं और पारंपरिक विचारों के समर्थक हैं। उनकी गहरी धार्मिक समझ और रूढ़िवादी नजरिया यूरोपीय कैथोलिकों को आकर्षित कर सकता है। वे उन लोगों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जो चर्च की पुरानी परंपराओं को मजबूती देना चाहते हैं।

5. कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवो (पेरू)
56 वर्षीय प्रीवो हाल ही में डिकास्ट्री फॉर बिशप्स के प्रमुख नियुक्त किए गए हैं और लैटिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो चर्च का एक बड़ा केंद्र है। उनकी उम्र और हालिया पदोन्नति को देखते हुए, वे लंबे कार्यकाल के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं। फ्रांसिस द्वारा उन्हें कार्डिनल बनाए जाने के बाद उनकी स्थिति और भी मजबूत हुई है।

पोप फ्रांसिस: एक प्रेरणादायी जीवन की कहानी

पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। वे 13 मार्च 2013 को पोप बने थे, और वे पहले लैटिन अमेरिकी और गैर-यूरोपीय पोप थे। उनका कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। उन्होंने चर्च में पारदर्शिता, सुधार, और समाज के पिछड़े वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में कई कदम उठाए।

उनकी वाणी में सादगी थी, लेकिन उसमें ताकत भी थी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, गरीबी, युद्ध और धर्मों के बीच समरसता जैसे जटिल विषयों पर भी खुलकर बात की। उनके निधन से न केवल कैथोलिक समुदाय को, बल्कि पूरी दुनिया को एक संवेदनशील और प्रतिबद्ध नेता की कमी खलेगी।

अब अगला कदम क्या होगा?

जल्द ही वेटिकन में कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा, जिसमें दुनिया भर के कार्डिनल्स शामिल होंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय होती है और इसमें समय लग सकता है। जब तक नया पोप नहीं चुना जाता, वेटिकन के प्रशासनिक कार्य अंतरिम व्यवस्थाओं के तहत चलाए जाते हैं।

दुनिया एक नए आध्यात्मिक मार्गदर्शक की प्रतीक्षा कर रही है—ऐसे शख्स की जो पोप फ्रांसिस की विरासत को आगे बढ़ाए और आने वाली पीढ़ियों को दिशा दिखाए।