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अजमेर संभाग में कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के अलावा अलग अलग सियासी पार्टियों व निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी ताल ठोकी है। कई सीटों पर तो बागियों ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की नींद उड़ा रखी है। मतदाता 25 नवम्बर को अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर देंगे।

सन् 2018 में अजमेर संभाग में कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी। संभाग की 29 सीटों में से कांग्रेस को 14 और भारतीय जनता पार्टी को 12 सीटें मिली थी, जबकि दो आरएलपी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इस बार स्थिति बदल चुकी है। भारतीय जनता पार्टी ध्रुवीकरण और कांग्रेस अपने कार्यों के भरोसे चुनावी रणभूमि में है।

आपको बता दें कि राजनीति में अजमेर संभाग की 29 सीटें बहुत मायने रखती है। संभाग में चार जनपद अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टोंक जिला शामिल है। 2018 के इलेक्शन में अजमेर की 8 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 5, कांग्रेस को 2 और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

याद दिला दें कि 2018 के इलेक्शन में सत्ता विरोधी लहर का फायदा कांग्रेस को मिला। युवा जोश और अनुभव की जुगल जोड़ी ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से वंचित कर दिया था। 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसमें अजमेर संभाग से एक डिप्टी सीएम, दो कैबिनेट मंत्री बने थे।

 

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