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Up Kiran, Digital Desk: अगस्त का महीना इस बार उत्तर और पश्चिम भारत के लिए सबसे भारी पड़ा। बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि पिछले ढाई दशक का रिकॉर्ड टूट गया। उत्तर-पश्चिम भारत में अकेले अगस्त के दौरान 265 मिलीमीटर पानी बरसा, जो 2001 के बाद से सबसे ज्यादा है और 1901 के बाद से यह 13वीं बार इतना बड़ा आंकड़ा दर्ज किया गया। यह सामान्य औसत 197.1 मिलीमीटर से करीब 34 प्रतिशत ऊपर है। मौसम विभाग का साफ कहना है कि सितंबर में भी बादल राहत देने वाले नहीं हैं, बल्कि सामान्य से ज्यादा बरसात जारी रह सकती है। पहाड़ी राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा भी बरकरार रहेगा।
दक्षिण भारत भी भीगा
सिर्फ उत्तर नहीं, दक्षिण प्रायद्वीपीय इलाकों में भी अगस्त ने रिकॉर्ड बनाए। यहां 250.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य से 31 प्रतिशत ज्यादा है। 2001 के बाद से यह तीसरी सबसे भारी बरसात रही। विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, सितंबर में भी बारिश का औसत 167.9 मिलीमीटर से लगभग दोगुना तक पहुँच सकता है।
मानसून का तीन महीने का हिसाब
जून से अगस्त तक उत्तर-पश्चिम भारत में 614.2 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य तौर पर यह 484.9 मिमी होती है। यानी करीब 27 प्रतिशत की बढ़त।
अगस्त में देशभर का औसत 268.1 मिमी रहा, जो सामान्य से लगभग 5 प्रतिशत ज्यादा है। पूरे देश में जून से अगस्त तक 743.1 मिमी पानी बरसा, जबकि सामान्य 700.7 मिमी होता है। यह लगभग 6 प्रतिशत की बढ़त है। जून में बारिश 9 प्रतिशत अधिक रही और जुलाई में भी 5 प्रतिशत ऊपर रही। इस दौरान मध्य भारत में 22 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई।
नदियों का उफान और खतरे की घंटी
महापात्र ने चेतावनी दी है कि उत्तराखंड में लगातार तेज बारिश से नदियाँ उफान पर रहेंगी। इसका असर हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान तक दिखेगा। छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी हिस्सों में भी भारी पानी गिरने की संभावना जताई गई है। उन्होंने यह भी बताया कि 1980 के बाद से सितंबर की बरसात लगातार बढ़ रही है, हालांकि कुछ साल ऐसे भी रहे हैं जब इस महीने में औसत से कम पानी गिरा।
पंजाब में जानलेवा हालात
पंजाब में बाढ़ और लगातार हो रही बारिश अब लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। अबोहर, संगरूर और मानसा में मकानों की छतें गिरने से दो महिलाओं समेत तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि अमृतसर में दीवार गिरने से एक बुजुर्ग की जान चली गई। राज्य के 10 जिलों के 1300 से ज्यादा गाँव पानी में डूबे हैं। सेना, एनडीआरएफ और बीएसएफ राहत कार्यों में जुटे हैं। 122 राहत शिविर खोले गए हैं और हेलिकॉप्टर से दवाइयाँ व राशन पहुँचाया जा रहा है।
पहाड़ों में आफत
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में धौलीगंगा परियोजना की सुरंगें भूस्खलन से बंद हो गईं, जिससे एनएचपीसी के 19 कर्मचारी 24 घंटे तक अंदर फंसे रहे। रविवार शाम उन्हें सुरक्षित निकाला गया। जम्मू-श्रीनगर हाईवे लगातार छठे दिन बंद रहा, वहीं हिमाचल में शिमला समेत कई जिलों में सड़कों पर भूस्खलन से जनजीवन ठप है। श्री माता वैष्णो देवी यात्रा भी छठे दिन रुकी रही। मौसम विभाग ने हिमाचल के चार जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी कर रखा है।
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