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p Kiran, Digital Desk: टीम इंडिया के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर हमेशा से ही क्रिकेट फैंस के गले की फांस रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के कई सालों बाद भी उनके चाहने वालों की संख्या कम नहीं हुई है। आज भी फैंस का कहना है कि सचिन की पारियों और उनके रिकॉर्ड्स की बराबरी कोई नहीं कर सकता। लेकिन पिछले कुछ दिनों में सचिन तेंदुलकर का नाम नकारात्मक बातों की वजह से चर्चा में रहा है।
भारतीय टीम कल से इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज खेलेगी। इस टेस्ट सीरीज का नाम पटौदी ट्रॉफी था। इसे अब बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी कर दिया गया है। इस फैसले पर भारतीय क्रिकेट के कई दिग्गजों ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने आखिरकार इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।
नाम बदलने का फैसला मेरा नहीं था
सचिन तेंदुलकर ने रेवस्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में कहा, "आज मैं साफ-साफ बोल रहा हूं। इस ट्रॉफी के पुराने नाम को अप्रचलित घोषित करने और इसे नया नाम देने का फैसला पूरी तरह से बीसीसीआई और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का था। फैसला लेने के बाद उन्होंने मुझे इसकी जानकारी दी। पटौदी परिवार की बात करें तो मैं भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को जानता हूं। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। पटौदी सीनियर इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए खेले। टाइगर पटौदी ने भारत की कप्तानी की। मैं उनकी पारी नहीं देख पाया क्योंकि मैं तब पैदा नहीं हुआ था। लेकिन मैंने उनकी कहानियां सुनी हैं, जो सभी के लिए प्रेरणादायी हैं। इसलिए मैंने जोर दिया था कि ट्रॉफी का नाम नहीं बदला जाना चाहिए। लेकिन कुछ नियमों के चलते इसे बदल दिया गया।
आगे उन्होंने कहा कि जब मुझे ट्रॉफी के नाम को लेकर विवाद के बारे में पता चला तो मैंने खुद पटौदी परिवार को फोन किया। मैंने उनसे बात की। हमने इस पर चर्चा भी की। फिर मैंने बीसीसीआई, ईसीबी और जय शाह से भी बात की। मैंने उस समय साफ कहा था कि पटौदी के योगदान को याद रखने के लिए कुछ किया जाना चाहिए। तब पटौदी मेडल का फैसला लिया गया।
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