Up kiran,Digital Desk : अक्सर हमने देखा है कि संसद का सत्र शुरू तो होता है देश के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए, लेकिन खत्म होता है शोर-शराबे और हंगामे के बीच। कई बार तो जरूरी बिल भी पास नहीं हो पाते या फिर बिना चर्चा के ही पास कराने पड़ते हैं। इसी 'हंगामे' के डर को खत्म करने के लिए और 1 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र (Winter Session) को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है।
संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष से तालमेल बिठाने के लिए 30 नवंबर को एक अहम सर्वदलीय बैठक (All-Party Meeting) बुलाई है। मकसद साफ है—चाय पर चर्चा हो जाए, गिले-शिकवे दूर हो जाएं ताकि जब 1 दिसंबर को संसद खुले, तो काम हो सके।
इस बार सरकार के पिटारे में क्या है?
सरकार इस सत्र में पूरी तैयारी के साथ जा रही है। खबर है कि इस बार 10 नए बिल पेश किए जाएंगे। इनमें कुछ ऐसे कानून हैं जो देश की दिशा और आपकी जिंदगी दोनों बदल सकते हैं। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि सरकार क्या करने जा रही है।
1. अब प्राइवेट कंपनियां बनाएंगी परमाणु ऊर्जा? (Nuclear Energy Bill, 2025)
यह इस सत्र का सबसे बड़ा और हॉट टॉपिक होने वाला है। अब तक देश में न्यूक्लियर एनर्जी यानी परमाणु ऊर्जा पर सिर्फ और सिर्फ सरकार का हक था। लेकिन 'परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025' के जरिए सरकार इस सेक्टर के दरवाजे प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलने जा रही है। सरकार का तर्क है कि इससे नई तकनीक आएगी और बिजली उत्पादन बढ़ेगा। हालांकि, विपक्ष इस पर क्या रुख अपनाता है, यह देखने वाली बात होगी।
2. कॉलेजों को मिलेगी आज़ादी (Higher Education Bill)
पढ़ाई-लिखाई के मामले में भी बड़ा बदलाव होने वाला है। 'हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल' के जरिए सरकार यूनिवर्सिटीज को ज्यादा स्वायत्तता (Autonomy) देना चाहती है। मतलब, अच्छे संस्थान अब अपने फैसले खुद ले सकेंगे और खुद को गवर्न कर सकेंगे। मान्यता (Recognition) की प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाने की बात कही जा रही है।
3. शेयर बाजार के नियम होंगे आसान (Securities Markets Code)
अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो यह आपके काम की खबर है। अभी सेबी एक्ट, डिपॉजिटरी एक्ट जैसे अलग-अलग कानून हैं। सरकार अब इन तीनों को मिलाकर एक 'सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड, 2025' ला रही है। इससे कन्फ्यूजन कम होगा और मार्केट के नियम साफ होंगे।
4. सड़कें और बिजनेस (Highways & Business)
नेशनल हाईवेज बिल: सड़क बनाने के लिए जमीन लेना (Land Acquisition) हमेशा एक टेढ़ी खीर रहा है। सरकार इसे आसान और तेज बनाने के लिए कानून में बदलाव कर रही है।
कॉरपोरेट लॉज बिल: देश में बिजनेस करना आसान हो (Ease of Doing Business), इसके लिए कंपनी एक्ट में कुछ जरूरी सुधार किए जाएंगे।
5. कोर्ट-कचहरी और सुलह (Arbitration Law)
अदालती लड़ाई से बेहतर है आपस में सुलह कर लेना। इसी सोच के साथ 'मध्यस्थता कानून' में बदलाव की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में कुछ सुझाव दिए थे, जिन्हें ध्यान में रखकर नया ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
कुल मिलाकर, 1 दिसंबर से शुरू हो रहा यह सत्र काफी धमाकेदार होने वाला है। एक तरफ सरकार के बड़े रिफॉर्म्स हैं, तो दूसरी तरफ विपक्ष के तीखे सवाल। देखना दिलचस्प होगा कि 30 नवंबर की बैठक में बात बनती है या फिर संसद में वही पुराना शोर गूंजता है।
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