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New discovery by scientists: विज्ञान ने मानव जीवन के कई रहस्यों को उजागर किया है और अब वैज्ञानिकों ने उस स्तर तक पहुंचने का दावा किया है जहां वे मौत की भविष्यवाणी करने में सक्षम हैं, मतलब वो तरीका ढूंढ लिया जिससे ये पता लगाया जा सके की सामने वाले की मृत्यु कब और कैसे हो सकी है। ये एक ऐसा विषय है, जो हर किसी के लिए दिलचस्प और चिंताजनक भी है।

हर इंसान की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया अलग होती है। कुछ लोग प्राकृतिक जीन के कारण धीरे-धीरे बूढ़े होते हैं, जबकि अन्य गलत जीवनशैली के कारण जल्दी ही उम्रदराज दिखने लगते हैं। खराब खानपान, कम नींद, धूम्रपान, शराब का सेवन और निरंतर चिंता करना डीएनए पर बुरा असर डालते हैं। वैज्ञानिकों ने इन बदलावों को मापने के लिए नए तरीके खोज निकाले हैं, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है।

हाल के वर्षों में शोधकर्ताओं ने एपीजेनिटिक क्लॉक नामक एक उपकरण बनाया है, जो रक्त कोशिकाओं के माध्यम से जीवनशैली के कारण हुए डीएनए परिवर्तनों को ट्रैक करता है। अब, अमेरिका में वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस क्लॉक का एक नया वर्जन तैयार किया है, जिसे चीकएज कहा जाता है। ये गाल के अंदर की कोशिकाओं का उपयोग करके डीएनए में बदलावों की जानकारी देता है और इसका उपयोग करना बहुत आसान है।

हाल ही में "फ्रंटियर्स इन एजिंग" में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, चीकएज उपकरण मौत के जोखिम का सटीक अनुमान लगाने में कारगर है।

इस तरह विज्ञान ने एक नई दिशा में कदम रखा है, जहां हम न केवल उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं, बल्कि मौत के समय और कारण का अनुमान भी लगा सकते हैं। यह शोध भविष्य में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
 

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