Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि उपयोगकर्ता अब अपने स्मार्टफ़ोन से संचार साथी ऐप को हटा सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह ऐप पूरी तरह से वैकल्पिक है। “अगर आप संचार साथी नहीं चाहते, तो इसे हटा सकते हैं। यह एक विकल्प है। हमारे लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह ऐप सभी तक पहुंचे, लेकिन उसे रखना या न रखना, यह उपयोगकर्ता की इच्छा है,” सिंधिया ने कहा।
यह बयान तब आया जब दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सभी मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं और आयातकों को आदेश दिया था कि वे भारत में बिकने वाले नए उपकरणों में संचार साथी ऐप को 90 दिनों के भीतर पहले से इंस्टॉल करें।
90 दिन में संचार साथी ऐप हर नए फोन में होगा इंस्टॉल
दूरसंचार विभाग के आदेश के अनुसार, भारत में उपयोग के लिए मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली सभी प्रमुख कंपनियों जैसे एप्पल, सैमसंग, गूगल, वीवो, ओप्पो और श्याओमी को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उपकरणों में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल हो।
आदेश में कहा गया है, "90 दिनों के भीतर, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संचार साथी ऐप भारत में उपयोग के लिए सभी निर्मित या आयातित मोबाइल हैंडसेट में पहले से इंस्टॉल हो।"
पहले से बने उपकरणों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट
वहीं, पहले से बिक चुके और भारत में उपलब्ध उपकरणों के लिए, मोबाइल निर्माता और आयातक सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से संचार साथी ऐप को अपने डिवाइस पर पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्हें 120 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट भी दूरसंचार विभाग को सौंपनी होगी।
क्या होगा अगर कंपनियां आदेश का पालन नहीं करतीं?
अगर कोई कंपनी इस आदेश का पालन करने में विफल रहती है, तो उसे दूरसंचार अधिनियम 2023, साइबर सुरक्षा नियम 2024 और अन्य लागू कानूनी प्रावधानों के तहत दंड का सामना करना पड़ सकता है।
कंपनियों को यूज़र इंटरफेस पर ध्यान देने का निर्देश
दूरसंचार विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि संचार साथी ऐप को यूजर्स के लिए पहली बार फोन सेटअप करते वक्त आसानी से दिखाया जाए और उसे किसी भी रूप में अक्षम या प्रतिबंधित नहीं किया जाए। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐप की कार्यक्षमता पूरी तरह से सक्रिय और सुलभ हो।
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