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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के नैनीताल जिले स्थित ओखलकांडा स्कूल में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां एकमात्र दसवीं कक्षा के छात्र के फेल होने के कारण स्कूल के सभी शिक्षकों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह मामला तब उजागर हुआ जब अखबार में प्रकाशित खबर के बाद जांच शुरू हुई और यह सामने आया कि स्कूल में शिक्षकों के बीच समन्वय की भारी कमी थी। साथ ही शिक्षक शिक्षण अधिगम में भी पूरी तरह से उदासीन थे। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय शिक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है, बल्कि उत्तराखंड सरकार के अफसरों को भी सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।

क्या है मामला

नैनीताल के ओखलकांडा स्कूल में दसवीं कक्षा का एकमात्र छात्र परीक्षा में फेल हो गया। जांच के दौरान पाया गया कि वह छात्र पढ़ाई में बहुत कमजोर था और उसे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में रखा जा सकता था। लेकिन, इस छात्र की शिक्षा पर स्कूल प्रशासन और शिक्षकों ने ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, कक्षा 6 से 10 तक पढ़ने वाले अन्य 12 बच्चों का शैक्षिक स्तर भी संतोषजनक नहीं था, जो बताता है कि स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब थी।

जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया

महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान ने हाल ही में 'मीडिया' को बताया कि सीईओ गोविंद जायसवाल की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूल के शिक्षकों के बीच आपसी समन्वय का अभाव था। शिक्षकों का ध्यान शिक्षण कार्य पर नहीं था और उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लिया। इसके कारण न सिर्फ एक छात्र की असफलता हुई, बल्कि बाकी बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई। यह स्थिति स्कूल के शैक्षिक स्तर को गिराने का कारण बनी।

क्या कदम उठाए गए?
इस घटना के बाद उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। पहले तो स्कूल के प्रधानाचार्य के वित्तीय अधिकार छीनकर उन्हें अटल उत्कृष्ट जीआईसी-पतलोट के प्रधानाचार्य को सौंप दिए गए हैं। इसके अलावा, स्कूल के सभी शिक्षकों को शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए एडवर्स एंट्री (नकारात्मक मूल्यांकन) दी जाएगी। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचा जा सके।

शिक्षा में सुधार के लिए सख्त दिशा-निर्देश

महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान ने कहा कि शिक्षा विभाग ने उत्तराखंड के सभी शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे स्कूल में पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में किसी भी तरह की लापरवाही न करें। यदि भविष्य में इस प्रकार का कोई मामला सामने आता है, तो संबंधित शिक्षक और प्रधानाचार्य के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

 

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