
Up Kiran, Digital Desk: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने भारत और चीन के बीच चल रही बातचीत का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत करना बेहद ज़रूरी है और इसे किसी भी तरह से कमज़ोरी का संकेत नहीं माना जाना चाहिए।
तिरुवनंतपुरम में मीडिया से बात करते हुए, थरूर ने "संतुलित कूटनीति" (Balanced Diplomacy) की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
क्या है 'संतुलित कूटनीति' का मतलब?
थरूर ने आसान शब्दों में समझाया कि इसका मतलब है कि एक तरफ भारत को सीमा पर अपनी सैन्य स्थिति को मज़बूत बनाए रखना चाहिए और चीन के किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ बातचीत के दरवाज़े भी हमेशा खुले रखने चाहिए।
उन्होंने कहा, "सीमा पर मज़बूती से डटे रहना और बातचीत की मेज पर बैठना, ये दोनों चीज़ें एक साथ हो सकती हैं। बातचीत इसलिए ज़रूरी है ताकि तनाव कम हो और हम अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति पर वापस लौट सकें, जब चीनी सेना ने हमारी ज़मीन पर घुसपैठ नहीं की थी।"
बातचीत ही है एकमात्र रास्ता
थरूर का मानना है कि भारत और चीन के रिश्ते इस समय बहुत ही नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं। ऐसे में युद्ध या सैन्य टकराव कोई विकल्प नहीं है। दोनों परमाणु-सशस्त्र देशों के बीच किसी भी तरह के संघर्ष से बचना चाहिए और इसका एकमात्र रास्ता बातचीत ही है।
उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना इसलिए नहीं हो रही कि वह बात कर रही है, बल्कि इसलिए हो रही है क्योंकि बातचीत का नतीजा अब तक सामने नहीं आया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वे अपनी कूटनीति में और ज़्यादा मज़बूती लाएं ताकि चीन अप्रैल 2020 की स्थिति पर वापस जाने के लिए तैयार हो।
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