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तीर्थस्थल धर्मस्थल से जुड़े एक गुमनाम व्हिसलब्लोअर ने अदालत में ऐसी कहानी सुनाई कि पूरे देश में सनसनी फैल गई। एक काले लिबास में, चेहरे पर पारदर्शी पट्टी पीछे छोड़कर नकाब लगाए वह व्यक्ति अदालत में पेश हुआ। उसने दावा किया कि 1995‑2014 तक काम करते हुए उसे सैकड़ों महिलाओं और नाबालिगों की लाशें दफनाने या जलाने के लिए मजबूर किया गया।
शिकायतकर्ता एक पूर्व सफाईकर्मी था, जिसने अदालत में एक इंसानी खोपड़ी और ढेरों कंकालों की तस्वीरें और नक्शे प्रस्तुत किए। उसने बताया कि शव अक्सर नेत्रावति नदी किनारे ऐसे स्थानों पर गुप्त रूप से दफनाए गए जहाँ मिट्टी नमी से भरपूर हो, ताकि समय के साथ साक्ष्य मिट जाएँ। उसने यह भी कहा कि यदि उसने इन आदेशों का पालन न किया, तो उसके एवं परिवार की जिंदगी को खतरा बताया गया था।
व्हिसलब्लोअर के अनुसार, कई शवों पर गला घोंटने के निशान, यौन उत्पीड़न के संकेत, और एक 12‑15 वर्षीय छात्रा जिसे उसकी स्कूल यूनिफॉर्म में दफनाया गया की तस्वीरें शामिल थीं। एक युवती तो तीव्राब हमले से जली हुई हालत में मिली थी।
प्रतिक्रिया और जांच:
इस खुलासे के बाद कर्नाटक सरकार ने 20 जुलाई 2025 को चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) गठित की। SIT के नेतृत्व में डीजीपी प्रणब मोहंती, डीआईजी एम.एन. अनुचेत, डीसीपी सौम्यलता, और एसपी जितेंद्र कुमार दयाम शामिल हैं। इस टीम को पूरे मामले की गहराई में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है।
झड़िक, सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने SIT को पूर्ण स्वायत्तता और व्हिसलब्लोअर को पूर्ण सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग की है।
अभी तक पीड़ितों के परिवारों में से केवल अनन्या की माँ ने शिकायत दर्ज की है। कई परिवार डर के कारण सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन इस व्हिसलब्लोअर ने दर्द और गिल्ट से उबरने के लिए सच उजागर करने का फैसला किया था।
ये मामला केवल एक अपराध नहीं—बल्कि बड़े धार्मिक, प्रशासनिक और सामाजिक संगठनिक गठजोड़ की परतों को चुनौती दे रहा है। न्याय की लड़ाई अब अदालतों के साथ‑साथ जनता की सजग चेतना में भी लड़ी जाएगी।