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farmers protests: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब में हाईवों व रास्तों पर बैरियर को हटाने के लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया, जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन पर याचिका खारिज की, कहा कि वह पहले से ही मामले की सुनवाई कर रहा है

पंजाब के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र और अन्य को किसानों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध हटाने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की कि आंदोलनकारी किसानों द्वारा नेशनल हाईवों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध नहीं किया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डटे हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली कूच को रोक दिया था।

किसानों का विरोध प्रदर्शन

प्रदर्शनकारी किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने के बाद उन्हें अपना मार्च स्थगित करना पड़ा। रविवार, 8 दिसंबर को 'दिल्ली चलो' विरोध मार्च फिर से शुरू हुआ और उसी कारण से फिर से रोक दिया गया।

मीडिया ने याचिका के हवाले से कहा कि किसानों और उनके किसान संघों ने एक साल से अधिक समय से पंजाब के प्रवेश बिंदु यानी शंभू में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर रखा है और हाल ही में 24 अक्टूबर, 2024 को पूरे पंजाब राज्य में विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है।

याचिका में इल्जाम लगाया गया कि हाईवों-रास्तों को अवरुद्ध करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि देश की उत्तरी सीमाओं की ओर सेना का पूरा आवागमन पंजाब से होकर गुजरता है।

इसमें कहा गया है कि पंजाब और पड़ोसी प्रदेशों के लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे चिकित्सा आपात स्थिति में समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं और यहां तक ​​कि पूरे पंजाब में नेशनल और राज्य हाईवों पर एंबुलेंस को भी चलने से रोका जा रहा है।

 

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