img

Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक सबसे करीबी और पूर्व व्यापार सलाहकार ने भारत को लेकर एक ऐसा विस्फोटक बयान दिया है, जिसने दुनियाभर के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। ट्रंप के पूर्व सलाहकार पीटर नवारो ने सीधे तौर पर भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को फंड करने यानी पैसा देने का आरोप लगाया है।

नवारो सिर्फ यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने बयान को और ज़्यादा तीखा बनाते हुए कहा, "यह पुतिन का युद्ध नहीं है; यह मोदी का युद्ध है।" यह पहली बार है जब किसी इतने बड़े अमेरिकी राजनीतिक व्यक्ति ने इस युद्ध को लेकर भारत और प्रधानमंत्री मोदी का नाम सीधे तौर पर लिया है।

क्या है नवारो का पूरा आरोप:पीटर नवारो ने दावा किया है कि भारत इस युद्ध से सीधे तौर पर "मुनाफ़ा" कमा रहा है और उसी मुनाफ़े से रूस को लड़ाई जारी रखने में मदद मिल रही है। उन्होंने इसका एक पूरा "बिजनेस मॉडल" भी समझाया।

नवारो के अनुसार: भारत, रूस से भारी छूट पर कच्चा तेल (crude oil) ख़रीद रहा है, क्योंकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से रूस का तेल कोई और ख़रीद नहीं रहा है। इसके बाद भारत अपनी रिफाइनरियों में उस सस्ते कच्चे तेल को साफ़ करके पेट्रोल-डीज़ल जैसे पेट्रोलियम उत्पाद बनाता है।

और फिर, उन्हीं उत्पादों को भारत ऊंचे दामों पर अमेरिका और यूरोपीय देशों को बेच रहा है, जिससे उसे मोटा मुनाफ़ा हो रहा है। नवारो का आरोप है कि भारत इस तेल के खेल से जो पैसा कमा रहा है, उससे अप्रत्यक्ष रूप से रूस की अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिल रही है, जिससे वह यूक्रेन के ख़िलाफ़ अपना युद्ध जारी रख पा रहा है।

क्यों है यह बयान इतना गंभीर:यह बयान इसलिए बहुत गंभीर है क्योंकि यह सीधे तौर पर भारत की विदेश नीति और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही एक संतुलित रुख अपनाया है। भारत हमेशा से शांति की वकालत करता रहा है, लेकिन उसने रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया है और रूस के साथ अपना व्यापार, ख़ासकर तेल का व्यापार, जारी रखा है।

भारत का हमेशा से यह तर्क रहा है कि वह अपने देश के लोगों के हितों को देखते हुए यह फ़ैसले ले रहा है। लेकिन पीटर नवारो जैसे व्यक्ति, जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के इतने क़रीबी रहे हैं, का इस तरह का बयान देना भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नई तरह की खटास पैदा कर सकता है। इस बयान के बाद अब यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या भारत का रुख सच में निष्पक्ष है या वह पर्दे के पीछे से रूस की मदद कर रहा है।

--Advertisement--