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Up Kiran, Digital Desk: आज, 25 सितंबर को, दुनिया भर में विश्व फेफड़ा दिवस (World Lung Day) 2025 मनाया जा रहा है। इसका मकसद फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे 'साइलेंट किलर' की, जो हमारे घरों में ही मौजूद है और हमारे बच्चों के नन्हे फेफड़ों को चुपचाप तबाह कर रहा है। यह किलर है 'पैसिव स्मोकिंग' (Passive Smoking), यानी आपके द्वारा पी गई सिगरेट का धुआं, जिसे आपका बच्चा सांस के जरिए अपने अंदर ले रहा है।

आप यह सोचकर सिगरेट पीते हैं कि इसका असर सिर्फ आप पर हो रहा है, लेकिन आप गलत हैं। आपकी यह आदत आपके बच्चे के लिए एक आजीवन बीमारी, या इससे भी बदतर, मौत का कारण बन सकती है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति तो धुएं को फिल्टर से खींचता है, लेकिन पास बैठा बच्चा सीधे जलती हुई सिगरेट से निकलने वाले और धूम्रपान करने वाले के मुंह से छोड़े गए धुएं को सीधे अपनी सांसों में लेता है, जिसमें 7,000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं।

बच्चे क्यों होते हैं सबसे आसान शिकार?

एक वयस्क की तुलना में, बच्चे पैसिव स्मोकिंग के प्रति कहीं अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके मुख्य कारण हैं:

अविकसित फेफड़े: बच्चों के फेफड़े अभी भी विकास की अवस्था में होते हैं और धुएं में मौजूद जहरीले रसायन उनके विकास को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

तेजी से सांस लेना: बच्चे वयस्कों की तुलना में अधिक तेजी से सांस लेते हैं। इसका मतलब है कि समान समय में वे अपने शरीर के वजन के अनुपात में अधिक जहरीला धुआं अंदर खींच लेते हैं।

कमजोर इम्यून सिस्टम: उनका प्रतिरक्षा तंत्र भी कमजोर होता है, जिससे वे धुएं के कारण होने वाले संक्रमणों से लड़ने में कम सक्षम होते हैं।

आपकी सिगरेट का बच्चे की सेहत पर जानलेवा असर:

अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS): यह सबसे भयानक खतरा है। शोध में यह साफ हो चुका  जिन शिशुओं की माताएं गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती हैं या जो शिशु पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आते उनमें SIDS (सोते समय अचानक मृत्यु) का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

अस्थमा का हमला: अगर आपके बच्चे को अस्थमा है, तो सिगरेट का धुआं उसके लिए एक ट्रिगर बम की तरह काम करता है। इससे अस्थमा के दौरे अधिक गंभीर और बार-बार हो सकते हैं। कई मामलों में, पैसिव स्मोकिंग ही स्वस्थ बच्चों में अस्थमा का कारण बन सकती है।

संक्रमण का गढ़: पैसिव स्मोकिंग बच्चों की श्वसन प्रणाली को कमजोर कर देती है, जिससे उन्हें ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और कान के संक्रमण जैसे रोग बार-बार और अधिक गंभीर रूप में होते हैं।

फेफड़ों का धीमा विकास: लगातार धुएं के संपर्क में रहने से बच्चों के फेफड़े अपनी पूरी क्षमता तक विकसित नहीं हो पाते हैं। यह एक ऐसी क्षति है जो जीवन भर उनके साथ रहती है, जिससे उन्हें आगे चलकर सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

कैंसर का भविष्य का जोखिम: जो बच्चे पैसिव स्मोकिंग के माहौल में पलते-बढ़ते हैं, उनमें वयस्क होने पर फेफड़ों का कैंसर विकसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। आप अनजाने में उनके भविष्य में कैंसर का बीज बो रहे हैं।

इस विश्व फेफड़ा दिवस पर क्या करें?

धूम्रपान करना आपकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, लेकिन अपने बच्चे को जहर की सांस लेने के लिए मजबूर करना सरासर अन्याय है।

सबसे अच्छा उपाय - धूम्रपान छोड़ें: अपने और अपने परिवार के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं हो सकता।

घर और कार को 'नो-स्मोकिंग' जोन बनाएं: अगर आप धूम्रपान नहीं छोड़ पा रहे  तो कसम खाएं कभी भी बंद जगहों जैसे घर या कार के अंदर सिगरेट नहीं पिएंगे।

बच्चों से दूर धूम्रपान करें: हमेशा बाहर खुली जगह पर जाकर ही धूम्रपान करें। याद रखें, धुआं आपके कपड़ों और बालों में भी चिपक जाता  (जिसे 'थर्ड-हैंड स्मोकिंग' कहते हैं), जो बाद में आपके बच्चे तक पहुंच सकता है।

इस विश्व फेफड़ा दिवस पर, अपने बच्चे को स्वस्थ सांसों और एक स्वस्थ भविष्य का उपहार दें। आपकी एक छोटी सी पहल उनकी पूरी जिंदगी बचा सकती है।