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Up Kiran, Digital Desk: नेपाल में राजशाही खत्म होने के 17 साल बाद, देश के आखिरी राजा ज्ञानेंद्र शाह ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने अब अपने नाम के आगे से 'पूर्व महाराजाधिराज' (former king) की उपाधि हमेशा के लिए हटा दी है। उनके सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अब से उन्हें सिर्फ एक आम नागरिक, ज्ञानेंद्र शाह, के नाम से जाना जाएगा।
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
यह कदम उठाने के पीछे का कारण देश की मौजूदा राजनीतिक सच्चाई को पूरी तरह से स्वीकार करना है। बयान में कहा गया है कि ज्ञानेंद्र शाह देश के संविधान का सम्मान करते हुए और एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक के रूप में, अपनी बाकी की जिंदगी एक "आम नागरिक" की तरह ही जीना चाहते हैं।
कैसा रहा है ज्ञानेंद्र शाह का सफर?
ज्ञानेंद्र शाह साल 2001 में एक दुखद शाही हत्याकांड के बाद नेपाल की गद्दी पर बैठे थे, जिसमें उनके भाई, राजा बीरेंद्र और उनके पूरे परिवार की हत्या हो गई थी। हालांकि, उनका सीधा शासन देश में लोकप्रिय नहीं हुआ और उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन हुए।
इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप, साल 2008 में नेपाल की 240 साल पुरानी शाह राजशाही को समाप्त कर दिया गया और देश एक गणतंत्र बन गया। तब से लेकर अब तक, ज्ञानेंद्र शाह एक आम नागरिक के रूप में ही रह रहे थे, लेकिन वह 'पूर्व राजा' की उपाधि का इस्तेमाल करते रहे हैं और कई बार उनके बयानों से राजनीतिक विवाद भी खड़े हुए हैं।
17 साल बाद अपने शाही टाइटल को औपचारिक रूप से त्याग देना इस बात का प्रतीक है कि नेपाल के इतिहास का एक अध्याय अब सही मायनों में समाप्त हो गया है।