
Up Kiran, Digital Desk: एक समय था जब मुंबई में उसके नाम की तूती बोलती थी, लोग उसे 'डैडी' के नाम से जानते थे. अंडरवर्ल्ड डॉन से नेता बने अरुण गवली को आखिर 18 साल बाद जेल से रिहाई मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार को अरुण गवली नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर आ गया. 73 साल का गवली, शिवसेना कॉर्पोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की सनसनीखेज हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था.
एक हत्या और खत्म हो गया 'डैडी' का राज
अरुण गवली को 2012 में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने 2007 में हुई कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था. गवली पर हत्या की साजिश रचने का आरोप था, जिसके पीछे मुंबई की राजनीति में चल रही दुश्मनी को वजह माना गया था. इस फैसले के बाद से ही गवली नागपुर की जेल में बंद था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी जमानत?
सुप्रीम कोर्ट ने गवली को जमानत देते हुए दो बड़ी बातों पर ध्यान दिया. पहला, गवली पहले ही 18 साल जेल में गुजार चुका है. दूसरा, उसकी बढ़ती उम्र. इन्हीं दो वजहों से कोर्ट ने उसकी रिहाई का आदेश दिया.
अंडरवर्ल्ड से विधानसभा तक का सफर
अरुण गवली की कहानी मुंबई के उन कुछ चुनिंदा डॉन्स में से है, जो जुर्म की दुनिया से निकलकर राजनीति की सीढ़ियों तक पहुंचे. 2000 के दशक में उसने राजनीति में कदम रखा और 2004 में भायखला विधानसभा सीट से विधायक भी चुना गया. लेकिन अपराध की दुनिया ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. मार्च 2007 में, शिवसेना कॉर्पोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. जांच में इस हत्या के तार गवली के गैंग से जुड़े, जिसके बाद उसके पतन की कहानी शुरू हो गई.
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