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Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), जो भारत की शान है, एक ऐसे कार्यक्रम की मेज़बानी करने जा रहा है जहां विज्ञान और मानवता के सबसे बड़े दिमाग एक साथ जुटेंगे. इस कार्यक्रम का नाम ‘नोबेल पुरस्कार श्रृंखला–भारत’ (Nobel Prize Series–India) है और इसमें नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक, भारत के बड़े नीति-निर्माता और युवा छात्र एक मंच पर आकर इनोवेशन (नई खोज) और इक्विटी (समानता) जैसे ज़रूरी मुद्दों पर बात करेंगे.

यह कार्यक्रम सिर्फ़ भाषणों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक खुली बातचीत का मंच होगा जहां दुनिया के सबसे brilliant दिमाग यह मंथन करेंगे कि विज्ञान और टेक्नोलॉजी का फायदा समाज के हर तबके तक बराबरी से कैसे पहुंचाया जा सकता है.

कौन-कौन हो रहे हैं शामिल: इस कार्यक्रम में डॉ. टॉर्स्टन वीज़ल जैसे महान वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं, जिन्हें 1981 में मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था. उनके अलावा, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य भी यहां मौजूद रहेंगे. भारत की ओर से सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर अजय कुमार सूद, और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सचिव, डॉ. राजेश गोखले भी इस चर्चा का हिस्सा बनेंगे.

क्या है इस चर्चा का मकसद: इसका मकसद सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करना नहीं, बल्कि कुछ ठोस सवालों के जवाब ढूंढना है:

क्या हमारी नई खोजें और टेक्नोलॉजी समाज में अमीर और गरीब के बीच की खाई को और बढ़ा रही हैं?

हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि विज्ञान का लाभ सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित न रहकर, हर इंसान तक पहुंचे?

कैसे भारत के युवा वैज्ञानिक दुनिया की इन बड़ी चुनौतियों का समाधान खोजने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं?

यह कार्यक्रम विज्ञान के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जहां दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञ मिलकर यह तय करेंगे कि आने वाले कल की खोजें कैसी हों सिर्फ़ नई ही नहीं, बल्कि सबके लिए समान भी.